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Bulandshahr

धड़ल्ले से चल रहा है औरंगाबाद में भी ओयो का घिनौना खेल

सबको पता है क्या होता है लेकिन जिम्मेदार मौन, कस्बे में धड़ल्ले से चल रहे हैं पांच ओयो होटल

औरंगाबाद (बुलंदशहर ) पुलिस की नाक के नीचे औरंगाबाद कस्बे में भी पांच ओयो होटल धड़ल्ले से चलाये जा रहे हैं। इन होटलों का क्या उपयोग होता है यह तथ्य महीनों पहले ही उस समय प्रकाश में आया था जब महमूदपुर निवासी एक नाबालिग लड़की ने पुलिस को लिखित तहरीर देकर एक गैर संप्रदाय के युवक पर कस्बे के एक ओयो होटल में जबरन यौन शोषण करने का आरोप लगाया था। पुलिस ने मामला दर्ज किया था लेकिन क्या कार्रवाई हुई इसकी जानकारी सिर्फ पुलिस को ही पता है। हालांकि आरोपी पांच छः दिन तक पुलिस की गिरफ्त में रहा यह चर्चा कस्बे में होती रही थी। मामला कैसे रफा दफा हुआ यह ज्ञात नहीं हो सका।

ऐसा नहीं है कि कोई भी व्यक्ति ओयो होटल खोलकर बैठ जाये। उसके लिए शासन ने सराय एक्ट लागू किया हुआ है। इस एक्ट के अंतर्गत होटल का पंजीकरण होटल खोलने से पहले प्राप्त करना अनिवार्य होगा। लेकिन सैय्या भये कोतवाल फिर डर काहे का , की कहावत चरितार्थ करते हुए होटल संचालक धड़ल्ले से कानून और शासन प्रशासन को ठेंगा दिखाते हैं। साफ जाहिर होता है कि कमाई का हिस्सा बंदर बांट कर सब नियम कानून ताक पर रख दिए जाते हैं।

आम आदमी का नजरिया कुछ दूसरा ही है वो तो साफ़ कहता है कि चकला घर में सब कुछ रैडी मिलता है लेकिन नये ठिकाने साथी उपलब्ध नहीं कराते साथ लाना पड़ता है लेकिन उसका उपयोग कानून सम्मत तो कदापि नहीं किया जाता।

विचारणीय प्रश्न यह है कि हमारे देश में होटलों की एक दो नहीं बल्कि हजारों श्रृंखलायें चलाई जा रही हैं फिर किसी एक ही श्रृंखला के होटल का नाम सुनते ही लोगों के चेहरे पर रहस्यमय मुस्कान क्यों खेल जाती है।

थाना प्रभारी जितेंद्र सिंह ने बताया कि कस्बा औरंगाबाद में शायद पांच ओयो होटल चल रहे हैं । रजिस्ट्रेशन है अथवा नहीं की बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जांच पड़ताल की जायेगी यदि रजिस्ट्रेशन नहीं कराया होगा तो बंद करा दिया जाएगा। अब तक जांच पड़ताल क्यों नहीं हुई इसका कोई जवाब नहीं दिया गया,

रिपोर्टर राजेंद्र अग्रवाल

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