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Bulandshahr

दादी को देखा रोज़ा रखते तो जैनब ने भी रखा अपना पहला रोजा

कुरान शरीफ भी पढ़ती है जैनब

औरंगाबाद( बुलंदशहर ) कहते हैं कि बड़े जैसा करते हैं बच्चे उनकी नकल करने को आतुर हो उठते हैं। ठीक यही हुआ मौहल्ला हिमायत नगर सईदगढी में जब अपनी दादी मीना को रोज़ा रखते देख दस वर्षीय जैनब पुत्री आसिफ सैफी भी अपने जीवन का पहला रोजा रखने को मचल उठी। परिजनों ने बच्ची की ज़िद को देखा तो खुशी खुशी पहला रमजान रखने की इजाजत दे दी और जैनब को मस्जिद ले जाकर दुआ मांगी कि बच्ची का पहला रमजान अल्लाह ताला हंसी खुशी से पूरा करायें।

कस्बे के सुभाष मैमोरियल स्कूल में कक्षा पांच की छात्रा जैनब अपनी दादी मीना को देख कुरान शरीफ भी पढ़ती है। कुरान की आयतें काफी जुबानी याद हैं। जैनब का पहला रोजा पूरा होने पर परिजनों और निकट संबंधियों ने अनेक प्रकार से खुशी का इजहार किया और गरीबों को इफ्तार कराया।

जैनब की दादी मीना की जैसे मन की मुराद ही पूरी हो गई है उनकी खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं है,

रिपोर्टर राजेंद्र अग्रवाल

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