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राष्ट्रीय

अंजनी कस्तूरिया ने लगाएं मोदीजी पर गम्भीर आरोप

अंजनी कस्तूरिया, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारत सेवा पार्टी- लॉकडाउन मोदीजी ने जनता की जान बचाने के लिए नहीं, बल्कि कोरोना से अपनी और अपने सहयोगियों की जान बचाने के लिए किया।

लॉकडाउन मोदीजी ने जनता की जान बचाने के लिए नहीं, बल्कि कोरोना से अपनी और अपने सहयोगियों की जान बचाने के लिए किया। प्रमाण जैसे ही लॉकडाउन 3 खत्म होने वाला था, तब मोदीजी को लगा कि दिल्ली मज़दूरों और गरीब जनता से बहुत खाली हो गई है और कोरोना का संक्रमण उनतक और उनके सहयोगियों तक नहीं पहुंचेगा, तब उन्होंने लॉक डाउन 4 लगाकर कोरोना के रेड, ऑरेंज, कांतमिनेंट, बफर, और ग्रीन जोन लगाने की ज़िम्मेदारी से अपना पल्ला झाड़ लिया और यह ज़िम्मेदारी राज्यों को दे दी। लॉकडाउन 3 तक वे 3 महीने अपने कमरे में छिपे रहे। बाहर नहीं आये। और जनता, मज़दूर सरकार का ज़ुल्म सहकर भूखे बेघर होकर भी डटकर सरकारी ज़ुल्मों का सामना करते रहे। जब मोदीजी ने देखा कि अब कोरोना से वे सुरक्षित हैं, तो लॉकडाउन 4 में जनता को दिखाने के लिए कि वो कोरोना से नहीं डरते, हेलीकाप्टर से बंगाल का हवाई सर्वेक्षण किया। मगर जनता से फिर भी मिलने नहीं गए। मोदीजी के किराये के आदमी जो उनकी सभा में मोदी मोदी चिलाते थे और टीवी चैनलों की खबरों का मज़ा खत्म कर देते थे, वो सब बंद हो गया। लॉक डाउन अमेरिका और यूरोप के देशों के लिए ठीक है। क्योंकि वहां लोग 2 से 3 साल तक घर में बैठकर खा सकते है। मगर भारत में लॉकडाउन लगाना एक मूर्खतापूर्ण काम था। लॉकडाउन से न तो कोरोना की मौत रुकी और न ही कोरोना का संक्रमण। बल्कि महामारी और ज्यादा फ़ैल गई। जो मज़दूर अपने अपने जगह पर बैठे थे, वे लॉक डाउन से घबराकर दुसरे स्थानों पर भागे, इससे महामारी पूरे देश के सभी जिलो में फ़ैल गई। क्या हमारे देश को पूरी तरह बर्बाद करने वाले मोदी को हटाने के लिए 2024 तक के चुनावों का इंतज़ार करना होगा? या मध्यावधि चुनाव की मांग को तेज़ करके अभी मोदी की असक्षम सरकार को हटाया जाए? 2024 तक तो मज़दूरों के साथ साथ माध्यम श्रेणी के व्यापारियों की हालात भी मज़दूरों की तरह हो जायेगी।

-अंजनी कस्तूरिया, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारत सेवा पार्टी

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