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वैश्य समाज कभी विघटित नही हो सकता

वैश्य समाज कभी विघटित नही हो सकता - दिव्य अग्रवाल

विगत 09.11.21को हिन्दी भवन में आयोजित वैश्य समाज सम्मेलन में श्रोताओं की संख्या कम होने से क्या वास्तव में वैश्य समाज कमजोर हो सकता है । इसके लिए कुछ अन्य तथ्य भी समझने होंगे यदि वैश्य समाज कमजोर होता है तो राज्य सभा सांसद श्री अनिल अग्रवाल जी के मार्गदर्शन में कोरोना काल मे वैश्य समाज पूरे तन मन धन से सेवा नही करता । यदि वैश्य समाज कमजोर होता तो श्री वी के अग्रवाल जी द्वारा संचालित रसोई गाजियाबाद के असमर्थ लोगो की भूख शांत नही कर रही होती । यदि वैश्य समाज कमजोर होता तो राज्य मंत्री कैप्टन विकास गुप्ता उन लोगो की सेवा नही कर पाते जो वैश्य समाज के होने के पश्चात भी मुख्य धारा से बहार हैं । यदि वैश्य समाज कमजोर होता तो मयंक गोयल जी पूरी तत्परता से मानव सेवा नही कर पाते ।यदि वैश्य समाज कमजोर होता तो मोदी मन्दिर एवम लोनी में वैश्य समाज भव्य एवम महासफ़ल सम्मेलन नही कर पाता । एक सम्मेलन जिसका आयोजन आई वी एफ ने हिन्दी भवन में किया उस आयोजन में भीड़ एकत्र ना होने का मतलब ये तो हो सकता है कि आयोजन कर्ताओं ने समुचित योजना व प्रबंधन नही बनाया हो । अतः ये किसी एक आयोजन की विफलता तो हो सकती है परन्तु इसका अर्थ ये कदापि नही हो सकता कि वैश्य समाज कमजोर या विघटित है ।

दिव्य अग्रवाल
दिव्य अग्रवाल

कोरोना कॉल में वैश्य समाज ने जिस एकजुटता से न केवल गाजियाबाद अपितु पूरे भारत मे निस्वार्थ मानव सेवा की है उसके बाद भी यदि ये कहा जाए कि वैश्य समाज मे आपसी तालमेल नही है तो निश्चित ये कोई षड्यंत्र का हिस्सा हो सकता है । वैश्य समाज की ताकत का आंकलन राजनीतिक पृष्ठभूमि से ज्यादा सामाजिक सहयोग से होना चाहिए । वैश्य समाज के इसी सामाजिक सहयोग के कारण ये समाज सदैव आदर , सत्कार एवम सम्मानजनक दृष्टि से देखा गया है । क्या कोई एक व्यक्ति मानवता की सेवा कर सकता है । नही शायद बिल्कुल नही । संचालक , मार्गदर्शक कोई एक व्यक्ति अवश्य हो सकता है पर उस सेवा में सभी का सहयोग का निहित होता है । अतः गाजियाबाद में वैश्य समाज के जिन-जिन प्रतिष्टित व्यक्तियों ने समाज व मानव सेवा कार्य चला रखे हैं । निश्चित ही उसमें सभी लोगो का सहयोग सम्मिलित है जो तभी सम्भव है जब किसी भी प्रकार का आपसी मतभेद ना हो । अब बात सरकार की करें तो ये भी सत्य है वैश्य समाज की भागीदारी के बिना कोई भी दल सत्ता तक नही पहुंच सकता । ये भी सत्य है कि सभी राजनीतिक दलों में वैश्य समाज का समुचित सहयोग रहता है वो सहयोग कभी प्रत्यक्ष भी होता है कभी अप्रत्यक्ष । ये भी सत्य है कि हिन्दी भवन में पत्रकारों के सम्मान का समुचित प्रबंधन नही था तो इसकी विफलता भी आयोजन समिति की हो सकती परन्तु वैश्य समाज की विफलता नही हो सकती । लोग कुछ भी कहे पर आपदा काल मे सबकी निगाहें सबसे पहले वैश्य समाज की ओर ही देखती है एवम वैश्य समाज सभी की आशाओं पर सदैव खरा ही उतरता आया है । वैश्य समाज, धर्म की सेवा ,मानव सेवा , समाज सेवा एवम देश सेवा के लिए सदैव कटिबद्ध रहा है एवम अनंतकाल तक कटिबद्ध रहेगा।

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