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Bulandshahr

ईट भट्टा का संचालन बंद होने के बाद भी बढ़ रहा एक्यूआई

ईट भट्टा के संचालन के दौरान ३०० से कम रहता है एक्यूआई ,  अब भट्टा का संचालन न होने के बाद भी नहीं बंद किए जा रहे कारक , जनपद ईट निर्माता समिति ने रोष जता एनजीटी और शासन को भेजा पत्र 

बुलंदशहर। दिवाली के बाद से हवा की गति मंद होने के चलते आसमान में छाई स्मॉग की चादर हटने का नाम नहीं ले रही है। इस कारण वातावरण में प्रदूषित तत्व पीएम-२.५ व पीएम-१० का स्तर मानक से अधिक है, जोकि मानव शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक है। वहीं, ईट भट्टा का संचालन न होने के बावजूद एक्यूआई बढऩे के कारणों का पता तक नहीं लगाया जा रहा। जनपद ईट निर्माता समिति का कहना है कि वायु प्रदूषण बढऩे से पूर्व ईट भट्टा का संचालन बंद करवा दिया जाता है। अब हर कोई वायु प्रदूषण से जूझ रहा है। ऐसे में इसका कारण अफसर नहीं ढूढ पा रहे है। इस संबंध में एनजीटी और शासन को पत्र भेजा है। कोरोना काल के दौरान जब सब कुछ ठहर सा गया था तो शासन के निर्देश पर ईट भट्टा का संचालन शुरू कर दिया गया था। इस दौरान जिले की वायु गुणवत्ता १०० के करीब मापी गई। अब काफी समय से ईट भट्टा का संचालन बंद होने के बावजूद दिवाली त्योहार पूर्व से शहर की हवा लगातार खराब श्रेणी में बनी हुई है। हवा की रफ्तार मंद होने के कारण बीते २५ दिनों से जिला स्मॉग (धुंए और कोहरे का मिश्रण) की चादर से ढका हुआ है। स्मॉग की चादर के चलते सुबह के समय दृश्यता भी कम हो रही है। वहीं, अगले एक सप्ताह तक लोगों को इससे राहत मिलने के आसार भी नहीं है। प्रदूषण स्तर बढऩे से लगातार ओपीडी में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। आंखों के मरीज भी इन दिनों तेजी से बढ़ रहे हैं। चिकित्सक लोगों को बाहर निकलते समय मास्क लगाने और ठंडी चीजों का परहेज करने की सलाह दे रहे हैं।

सब थे बंद तब ईट भट्टा के संचालन के बाद भी नहीं बढ़ा एक्यूआई

जनपद ईट निर्माता समिति के मीडिया प्रभारी संजय गोयल ने बताया कि कई वर्षों पूर्व कोयले का प्रयोग अधिक होने पर भी वायु प्रदूषण का स्तर नहीं बढ़ता था। अब कोयले का प्रयोग बंद होने या संबंधित फैक्ट्री व भट्टिया बंद होने के बावजूद एक्यूआई का स्तर बढ़ रहा है। जबकि ऐसे समय में ईट भट्टा का संचालन बिलकुल बंद पड़ा है। लेकिन दोष ईट भट्टा को ही दिया जा रहा है। जबकि, सडक़ों पर डीजल/पेट्रोल के अनगिनत वाहन, कच्ची/धूल भरी सडक़ें, पराली/कूड़ा जलाने, गन्ना क्रेशर और खुदाई आदि से प्रदूषण बढ़ रहा है। कोरोना काल के दौरान डीजल/पेट्रोल के वाहन, कच्ची/धूल भरी सडक़ें और पराली जलाने व गन्ना क्रेशर आदि बंद के दौरान ईट भट्टा का संचालन होने पर भी एक्यूआई का स्तर १०० के करीब रहता था। समिति के सचिव अनिल गर्ग ने बताया कि एक्यूआई बढऩे के कारण को ढूढने में सरकारी तंत्र फेल साबित हो रहा है। प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए अधिकारी प्रयास करें तो काफी कम लाया जा सकता है। जिगजैग हो चुके भट्टा के बाद भी उस पर रोक लगा रखी है। इस संबंध में एनजीटी कोर्ट और शासन को पत्र भेजा गया है।

हवा थमने और मौसम बदलने के कारण स्मॉग की चादर छाए रहने से एक्यूआई का स्तर बढ़ रहा है। काफी प्रयास किए जा रहे है। १५ अक्तूबर से ग्रैप सिस्टम लागू होने पर अन्य विभागों का भी इस कार्य में सहयोग लिया जा रहा है।सभी प्रयास करें तो काफी सुधार देखने को मिलेगा। – सपना श्रीवास्तव, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारी

सह संपादक- संजय गोयल

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