[ia_covid19 type="table" loop="5" theme="dark" area="IN" title="India"]
राष्ट्रीय

क्या वास्तव में इस्लाम धर्म छोड़ने की सुनामी आने वाली है ?

क्या वास्तव में इस्लाम धर्म छोड़ने की सुनामी आने वाली है-दिव्य अग्रवाल

वैश्विक स्तर पर लोग इस्लाम को छोड़कर प्रकृति एवम मानवता की ओर बढ़ रहे हैं । विन गैलप संस्था की रिसर्च अनुशार तुर्की के 73% एवम सऊदी अरब के 5% लोग स्वम को गैर मजहबी मानते हैं एवम कट्टर इस्लामिक विचारधारा से अलग जीवन व्यापन करना चाहते हैं। प्यू रिसर्च के अनुशार एक वर्ष में अमेरिका में लगभग एक लाख , फ्रांस में 15 हजार लोगो ने इस्लाम धर्म को स्वेच्छा से त्याग दिया है । कनाडियन अफ्रीकी मौलवी बिलाल के अनुशार भविष्य में इस्लाम धर्म को छोड़ने की सुनामी पूरे विश्व मे आने वाली है । इसकी प्रमाणिकता अभी से देखने को भी मिल रही है मिस्र , ईरान , तुर्की , इंडोनेशिया आदि मुस्लिम बाहुल्य देशों में वहां की जनता या तो स्वम् को गैर मजहबी , या कट्टर मान्यताओं को त्यागकर , या मुल्ला मौलवियों की बात न मानकर , आधुनिकता के साथ जीवन व्यापन कर रही है ।अभी कुछ समय पहले ही इंडोनेशिया की प्रथम राष्ट्रपति की पुत्री सुकर्णो ने भी विधिवत रूप से मुस्लिम धर्म को छोड़कर सनातन हिन्दू धर्म को अपना लिया था ।

वास्तव में वैश्विक स्तर पर ये बहस छिड़ चुकी है कि धर्म का आधार जीयो और जीने दो की विचारधारा पर तो आधारित हो सकता है परन्तु इस विचारधारा पर कतई आधारित नही हो सकता कि बाकी धर्म या गैर मुस्लिमो या काफिरो को भी इस्लाम स्वीकार करना होगा अन्यथा उन्हें जीने का कोई अधिकार नही । जब इस धरती पर हम सभी मानवता व प्रकृति के पोषण व संरक्षण के साथ नही जी सकते तो इस जीवन के बाद ऊपर जाकर 72 हूरों के साथ क्या जीवन जीयेंगे । अब विश्व इन सब काल्पनिक बातों से बहार आकर , कट्टरपंथियों की निराधार बातों का विरोध कर , शिक्षा एवम प्रत्यक्ष प्रमाणों के आधार पर आगे बढ़ रहा है । वसीम रिजवी से बने जितेन्द्र नारयण त्यागी जी की किताब मोहम्मद एवम मुस्लिम देश तुर्की में लाल गुल की “मैं जीना चाहती हूँ” पुस्तक की तथ्यात्मक बातों का अवलोकन भी मुस्लिम समाज को करना चाहिए । मैं जीना चाहती हूँ पुस्तक न सिर्फ तुर्की अपितु अनेकों मुस्लिम देशों में बहूत ही लोकप्रियता के साथ पढ़ी जा रही है अतः तथ्यात्मक बातों पर तर्कसंगत बहस करके या तो उन बातों को निराधार साबित किया जा सकता है अन्यथा उन बातों की सत्यता को स्वीकार कर मानवता की ओर कदम बढ़ाया जा सकता है ।

दिव्य अग्रवाल
दिव्य अग्रवाल

भारत मे भी मुस्लिम समाज का बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो मूलभूत विचारधरा को अपनाते हुए घर वापसी करना चाहता है परन्तु विदेशों की तरह उन्हें स्वतंत्र व सुरक्षित आधार नही मिल पा रहा है ।

Show More

Related Articles

Close