राष्ट्रीय
बड़े मठाधीशों को भी जागना होगा अन्यथा शायद ही क्षमा मिलेगी – दिव्य अग्रवाल
बड़े मठाधीशों को भी जागना होगा अन्यथा शायद ही क्षमा मिलेगी - दिव्य अग्रवाल
मानवता संरक्षण हेतु सनातन धर्म की मूलभूत विचारधारा के प्रचार , प्रसार का बहूत बड़ा दायित्व शंकराचार्यो,मठाधीशों, धर्माचार्यो , कथावाचकों , महमण्डलेश्वरो , अखाड़ों , सन्त परिषद आदि संस्थाओं का है। सनातन धर्म के सिंद्धान्तों व तार्किक मतों से प्रेरित होकर विश्व के बड़े बड़े बुद्धिजीवी सनातन धर्म को अपना रहे हैं। जिस तरह फिल्म निर्देशक अली अकबर ने रामसिंम्ह व वसीम रिजवी ने जितेंद्र त्यागी बनकर सनातन धर्म को अपनाया ,उसी तरह भारत के बड़े बड़े धर्माचार्यो व मठाधीशों की भी जिम्मेदारी बनती है कि सार्वजनिक रूप से दोनों का सह्रदय स्वागत करके उन लोगो को प्रोत्साहित करें जो सनातन धर्म में वापसी करना चाहते हैं। परन्तु कुछ निजी कारणों से संकोच महसूस कर रहे हैं। आज पुनः यह जिम्मेदारी उन कथावाचकों पर भी है। जो व्यासपीठ से धर्म का प्रचार तो कर रहे हैं पर उसी धर्म मे वापसी करने वाले लोगो के लिए कोई ठोस नीति नही बना रहे हैं। जिस प्रकार स्वामी श्रद्धानंद जी ने असंख्य लोगो तक सनातन धर्म के प्रकाश को पहुंचाकर घर वापसी करवाई थी। उसी प्रकार सन्त समाज को उन सभी लोगो का स्वागत कर प्रोत्साहित करना चाहिए जो मानवता व प्रकृति के संरक्षण हेतु प्रेरित हैं। विश्व मे जितने भी मानवता प्रेमी है उन सबको सनातन धर्म के मजबूत प्रहरी की तरह उन लोगो की सहायता करनी चाहिए जो कट्टरवादिता , क्रूर हिंसात्मक विचारधारा को त्यागना चाहते हैं।
पशु की भांति मात्र अपने जीवन यापन हेतु नही अपितु समाज व मानवता हेतु भी जीवन को समर्पित करके उन सभी धर्म प्रहरियों का साथ देना चाहिए जो मानवता को बचाने हेतु इस पुण्य कार्य में लगे हुए हैं।यदि अब भी बड़े बडे मठाधीश जाग्रत नही हुए एवम मात्र अपने मठो में विश्राम करते रहे तो भविष्य में सनातन धर्म शायद ही उन्हें क्षमा कर पायेगा ।