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भारत – सफल टेस्ट के 24 घंटे बाद फिर क्यों परखी गई प्रलय मिसाइल? ये थी वजह
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 24 घंटे में छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय (Pralay) का दूसरी बार सफल परीक्षण किया है. इसके पहले 22 दिसंबर 2021 को ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से पहला सफल परीक्षण किया गया था. प्रलय मिसाइल 150 से 500 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के अड्डों को नष्ट करने में सक्षम है. इसकी सटीक मारक क्षमता और इसकी गति इसे ज्यादा ताकतवर बनाती है. यानी बॉर्डर के पास से अगर इसे दाग दिया जाए तो दुश्मन के बंकरों, तोपों, बेस आदि को खत्म करने में समय नहीं लगाएगी.
जमीन से जमीन पर मार करने के लिए बनाई गई प्रलय (Pralay) शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (Short Range Ballistic Missile) है. डीआरडीओ ने इसे पृथ्वी मिसाइल प्रणाली (Prithvi Missile Sytem) पर बनाया है. चुंकि इस मिसाइल की रेंज 150 से 500 किलोमीटर है. इसलिए इसके कई परीक्षण होने हैं. अलग-अलग रेंज पर परीक्षण किए जा सकते हैं. दूसरा परीक्षण भी इसके रेंज की सटीकता को जांचने के लिए किया गया है. दोनों ही परीक्षणों के दौरान मिसाइल ने सभी तय मानकों को पूरा किया.
5 टन वजनी मिसाइल, 500 से 1000 KG हथियार ले जाने में सक्षम
यह मिसाइल 5 टन वजनी है. इसमें 500 से 1000 किलोग्राम तक के पांरपरिक हथियार लगाए जा सकते हैं. यह इनर्शियल गाइंडेंस सिस्टम पर चलने वाली मिसाइल है. सॉलिड प्रोपेलेंट फ्यूल है. इस मिसाइल के बारे में ज्यादा जानकारी सरकार या डीआरडीओ द्वारा शेयर नहीं की गई है. चुंकि यह पृथ्वी मिसाइल की तकनीक पर बनी है, तो आपको बता दें कि यह भारत की तीन शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल की तकनीक से मिलकर बन सकती है. ये हैं – प्रहार, पृथ्वी-2 और पृथ्वी-3 मिसाइल.
अगर पृथ्वी-3 मिसाइल के प्लेटफॉर्म को इसका आधार मानते हैं तो प्रलय (Pralay) मिसाइल के वॉरहेड में हाई एक्सप्लोसिव, पेनेट्रेशन, क्लस्टर म्यूनिशन, फ्रैगमेंटेशन, थर्मोबेरिक, केमिकल वेपन और रणनीतिक परमाणु हथियार भी लगाए जा सकते हैं. हालांकि इस बात की पुष्टि अभी तक डीआरडीओ या रक्षा मंत्रालय ने नहीं की है. प्रलय (Pralay) मिसाइल को विकसित करने की अनुमति मार्च 2015 में दी गई थी. तब इसके लिए 332.88 करोड़ रुपये का बजट सेंक्शन किया गया था. इसे लॉन्च करने के लिए 8X8 टाटा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर का उपयोग किया जाता है. ये सारी मिसाइलें भारत के इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का हिस्सा है.
टारगेट की सटीकता 33 फीट, इस दायरे में जो आया वो खत्म
प्रलय (Pralay) मिसाइल की टारगेट ध्वस्त करने की सटीकता 10 मीटर यानी 33 फीट है. इसका मतलब ये है कि अगर टारगेट से 33 फीट के दायरे में यह मिसाइल गिरती है, तो भी उतना ही नुकसान करेगी, जितना सटीक निशाने पर गिरती तो करती. छोटी दूरी होने का फायदा ये है कि इसे आप देश की पश्चिमी या पूर्वी या उत्तरी सीमा पर तैनात करके दागते हैं तो सिर्फ वहीं इलाका नष्ट होगा, जितने की आपको जरूरत है. बेवजह का नुकसान नहीं होगा.
रात में भी हमला करने की तकनीक हो सकती है लैस
प्रलय (Pralay) मिसाइल की गति का खुलासा अभी तक नहीं किया गया है. अगर पड़ोसी देशों की बात करें तो चीन के पास इस स्तर की डोंगफेंग 12 (Dongfeng 12) मिसाइल है. जबकि, पाकिस्तान के पास गजनवी, एम-11 (चीन से मिली) और शाहीन मिसाइल है. इनमें से गजनवी 320 किलोमीटर, एम-11 350 किलोमीटर और शाहीन 750 किलोमीटर रेंज की मिसाइलें हैं.
Indigenously developed new surface-to-surface conventional ballistic missile ‘Pralay’ successfully flight tested from Dr APJ Abdul Kalam Island today. #NewTechnologies#AmritMahotsavhttps://t.co/kGgX3RMJ4k pic.twitter.com/cz1qm6OBdy
— DRDO (@DRDO_India) December 22, 2021
ऐसा माना जा रहा है कि प्रलय (Pralay) में रात में भी हमला करने की तकनीक लगाई गई होगी. यानी दुश्मन के ठिकानों पर रात में भी हमला करके उन्हें बर्बाद किया जा सकता है. इस मिसाइल में इंफ्रारेड या थर्मल स्कैनर लगा हो सकता है, जो टारगेट को अंधेरे में खोजकर उसे नष्ट कर सकता है.