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दिल्ली में दूसरी लहर के मुकाबले कोरोना के एक्टिव केस बढ़े लेकिन…..

दिल्ली में दूसरी लहर के मुकाबले कोरोना के एक्टिव केस बढ़े लेकिन अस्पताल में मरीजों की संख्या है कम

नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोविड -19  मामले दूसरी लहर की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रहे हैं जिसने इस साल अप्रैल-मई में राष्ट्रीय राजधानी के स्वास्थ्य ढांचे पर बुरा असर डाला था. मामलों में वृद्धि नए ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) के साथ हो रही है. बुधवार को दिल्ली में 923 नए मामले सामने आए. दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग (Delhi health department) द्वारा जारी कोविड-19 के लिए दिल्ली राज्य स्वास्थ्य बुलेटिन से पता चलता है कि इस साल 13 मार्च से 22 मार्च के बीच दैनिक मामले 419 से बढ़कर 888 हो गए थे. इस अवधि के आधार पर 23 मार्च से मौजूदा स्थिति की तुलना करे तो नए मामलों ने 1,000 का आंकड़ा पार कर लिया था.

एक न्यूज़ चैनल के एनालिसिस के अनुसार इस बार ना केवल रोजाना के मामलों बल्कि एक्टिव मामलों में काफी उछाल आया है. पिछले 10 दिनों में एक्टिव मामलों में चार गुना से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि दूसरी लहर में उक्त अवधि के दौरान यह 1.5 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है. यह भी ध्यान देना होगा कि दिल्ली में 20 दिसंबर को एक्टिव केस 531 थे और 29 दिसंबर को बढ़कर 2,191 हो गए. वहीं दूसरी लहर के दौरान उक्त तारीखों में उछाल 2,207 से 3,934 हुआ था.

इस बार अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या कम है हालांकि दिल्ली में मामलों की संख्या बढ़ने के बाद भी अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या कम है. जो राष्ट्रीय राजधानी के लिए एक उम्मीद की किरण है. अब तक दिल्ली में 262 मरीज भर्ती हैं. जिनमें कोविड -19 के संदिग्ध मरीज भी शामिल हैं. 20 दिसंबर, 197 मरीज भर्ती थे. शहर ने पिछले 10 दिनों में 2,905 मामले दर्ज किए हैं लेकिन सिर्फ 65 लोग भर्ती कराए गए हैं. शहर में 8,965 बेड्स कोरोनो मरीजों के लिए है.अभी तक दिल्ली के 97 फीसदी बेड खाली हैं यानी अभी तक सिर्फ 3 फीसदी बेड्स पर मरीज भर्ती हैं.

दूसरी लहर के दौरान 10 मई को मामलों में एकाएक इजाफा होने के बाद लगभग 86 फीसदी लोग अस्पताल में भर्ती थे. इस साल 13 मार्च को 582 मरीज भर्ती थे. वहीं इसी साल 22 मार्च को दिल्ली में कोरोनो मरीजों के लिए 5,728 बेड्स थे, जिनमें से 967 मरीज भर्ती थे. एक महीने बाद 22 अप्रैल को दिल्ली में बेड्स की संख्या बढ़कर 20,191 हो गई और इनमें से 18,154 पर मरीज भर्ती थे. उस वक्त दिल्ली में 91,618 एक्टिव केस थे.

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