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अंतर्राष्ट्रीय

‘1971 की हार से भी ज्यादा खतरनाक है पाकिस्तान का ये सरेंडर’, क्यों बोले पाकिस्तानी नेता

पाकिस्तान की सरकार देश चलाने के लिए दूसरे देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के कर्ज पर बुरी तरह निर्भर है. इसी कर्ज की मजबूरी में पाकिस्तान की सरकार को कुछ ऐसे कदम उठाने पड़ रहे हैं जिससे जनता की नाराजगी झेलनी पड़ रही है. पाकिस्तान के वित्त मंत्री शौकत तरीन ने गुरुवार को फाइनेंस (सप्लीमेंट्री) बिल 2021, जिसे विपक्ष मिनी बजट कह रहा है, पेश किया. इस बिल को लेकर विपक्षी पार्टियों ने इमरान खान सरकार को घेरा है और सत्ताधारी पार्टी पर पाकिस्तान को बेचने का आरोप लगाया है. यहां तक कि पाकिस्तान के विपक्षी दल के एक सांसद ने कहा है कि इमरान सरकार का ये कदम 1971 की जंग में किए गए आत्मसमर्पण से भी ज्यादा शर्मनाक है.

क्या है इस बिल में?

पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक,  फाइनेंस (सप्लीमेंट्री) विधेयक के तहत 144 सामानों पर 17% जीएसटी लगाया जाएगा. इनमें मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक वाहन, आयातित खाद्य तेल, चिकन, दवायों के लिए कच्चा सामान, कृषि के लिए बीज, बैटरी, आटा, पैक्ड डेयरी प्रोडक्टस, गन्ने आदि पर टैक्स लगाना शामिल है. ये टैक्स पाकिस्तान सरकार के राजस्व को बढ़ाने के मकसद से लगाए गए हैं. इस मिनी बजट से महंगाई से जूझ रही जनता पर टैक्स का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.

आईएमएफ से कर्ज लेने के लिए लाया गया बिल

इस बिल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की समीक्षा बैठक को देखते हुए लाया गया है. आईएमएफ ने पाकिस्तान को 6 अरब डॉलर का फंड देने की घोषणा की थी लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी थीं. जैसे- पाकिस्तान सरकार अपना बजट घाटा कम करे और राजस्व बढ़ाएं. 12 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) पाकिस्तान की सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की समीक्षा करने वाला है. आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड द्वारा मंजूरी मिलने के बाद ही लगभग 1 अरब डॉलर की किस्त पाकिस्तान को मिल सकेगी.

विपक्षी दलों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार के पास अब अपने आर्थिक नीतियों पर फैसले लेने की ताकत नहीं रह गई है. सरकार आईएमएफ के दबाव में आकर हर कदम उठा रही है.

 

‘1971 की हार से भी ज्यादा खतरनाक ये आत्मसमर्पण’

बिल पर बोलते हुए विपक्षी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के नेता ख्वाजा आसिफ ने कहा कि सरकार इस बिल के तहत स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का नियंत्रण IMF को दे रही है.

विपक्षी नेता ने कहा, ‘आप स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का नियंत्रण IMF के हाथों में दे रहे हैं. कृपया पाकिस्तान के लोगों पर रहम करें. पाकिस्तान को मत बेचें. आपने लोगों को इजाजत दी और पाकिस्तान तीन सालों तक लुटता रहा.’

ख्वाजा आसिफ ने सदन में मौजूद सांसदों से आग्रह किया कि वो पाकिस्तान को अपनी संप्रभुता का आत्मसमर्पण करने से रोकें. उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में पाकिस्तान की हार का जिक्र करते हुए कहा, ‘पाकिस्तान की आर्थिक संप्रभुता का समर्पण, 1971 में आत्मसमर्पण से ज्यादा खतरनाक है.’ उन्होंने कहा कि संसद में जो कुछ हो रहा है, उससे पूरा देश शर्मिंदा है.

सत्ता पक्ष ने दिया ये जवाब

विपक्षी नेता के भाषण के जवाब में पाकिस्तान के योजना और विकास मंत्री असद उमर ने कहा कि विपक्ष SBP संशोधन विधेयक पर शोर मचाकर ‘देश को डराने’ की कोशिश कर रहा है. मंत्री ने कहा, ‘उनमें और हमारे बीच अंतर ये है कि जब वे डेंगू को रोकने के लिए भी काम करते हैं, तो उन्हें खुद इसके बारे में विज्ञापन देना पड़ता है. लेकिन जब हम कोविड-19 को रोकने के लिए काम करते हैं तो अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेतृत्व वाली सरकार की प्रशंसा करती हैं.’

पाकिस्तान की संप्रभुता के आत्मसमर्पण वाली ख्वाजा आसिफ की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, ‘एक पाकिस्तानी नेता देश की संप्रभुता को आत्मसमर्पण करने की बात कर रहा है, ये शर्मनाक है.’

बिल को लेकर पाकिस्तान की संसद में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी उछाला गया. मंत्री असद उमर ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सरकार की आलोचना करने के लिए विपक्ष को आड़े हाथों लिया. उन्होंने PML-N सुप्रीमो नवाज शरीफ पर निशाना साधते हुए कहा, ‘उन्होंने (नवाज शरीफ ने) मोदी को अपने घर आमंत्रित किया था.’

सदन में उपस्ठित पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि विपक्ष को अपनी बात रखने का अधिकार है, हालांकि, सरकार का काम लोगों के सामने तथ्य रखना है.

कुरैशी को बीच में रोककर विपक्ष ने सदन में कम सांसदों की उपस्थिति का मुद्दा उठा दिया. विपक्ष के हंगामे को देखते हुए स्पीकर ने संसद का सत्र 31 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया.

पत्रकारों से क्या बोले कुरैशी

मीडिया से बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि स्टेट बैंक संशोधन विधेयक और फाइनेंस (सप्लीमेंट्री) विधेयक के संबंध में सांसदों को कैबिनेट की बैठक में जानकारी दी गई है. ये प्रस्तावित कानून देश की आर्थिक संप्रभुता से समझौता नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार देश की आर्थिक संप्रभुता की रक्षा करेगी, साथ ही देश की आर्थिक स्वतंत्रता की रक्षा करना सरकार की प्रमुख जिम्मेदारी है.

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