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धर्म

धर्म रक्षा को त्याग निज वैभव के मार्ग पर सनातनी धर्म गुरु – दिव्य अग्रवाल

सनातन समाज निरंतर मजहबी कट्टरपंथियो द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है परन्तु सनातन समाज के धर्म गुरु मौन हैं । कुछ सनातनी धर्म गुरु सोशल एकाउंट्स पर हिन्दू हित की चर्चा अवश्य करते हैं परन्तु उनका प्रयास भी मात्र बोलने तक व् प्रभावित लोगो से अनुदान एकत्रित करने तक सिमित है । सनातन में एक महत्वपूर्ण बात है की धर्म प्रचार प्रसार हेतु सनातनी धन के भण्डार खोल देते हैं परन्तु विडंबना यह है की ज्यादातर धर्म गुरु उस धन का उपयोग अपने आश्रम बनवाने में,अपनी निजी व्यवस्था बनाने में,मठ मंदिर बनवाकर अनुदान लेने में व् समाज को इस्लाम का भय दिखाकर अपने वैभव की पूर्ति करने में लगे हुए हैं । इतना ही नहीं कुछ धर्म गुरु हिंदुत्व के नाम पर राजनितिक वर्चस्व स्थापित करने में भी निरंतर प्रयासरत रहते है। विषय यह है की जब सनातन समाज पर मजहबी कटटरपंथ का आतंक प्रतिदिन भयावह व् विशाल होता जा रहा है तो सनातन धर्म गुरु,अखाड़े,महामंडलेश्वर,शंकराचार्य आदि क्या प्रयास कर रहे हैं क्यूंकि ये सभी पदासीन व्यक्तित्व हैं जिनके पास न तो अनुयायिओं का अभाव है न ही धन का अभाव है,अभाव है तो सिर्फ सम्पूर्ण सनातनी समाज के कल्याण करने की इच्छाशक्ति का। जिहाद अगेंस्ट वुमैन हो या भूमि जिहाद , ब्यूरोक्रेसी जिहाद हो या मेडिकल जिहाद , रेल जिहाद हो या व्यापारिक जिहाद , शिक्षा जिहाद हो या जनसंख्या जिहाद, मजहबी कटटरपंथ सबको सार्वजनिक रूप से पूरी व्यवस्थाओ के साथ संचालित व् क्रियान्वित कर रहा है और सनातनी समाज अपनी निजी व्यवस्थाओ में ही निहित है । संत महात्माओ के आश्रम पुरे भारत में भरे पड़े है परन्तु कोई भी आश्रम ऐसा नहीं है जो सनातन समाज को जमीनी स्तर पर मजबूत कर रहा हो या उनकी साहयता कर रहा हो जबकि इस्लाम में सारी व्यवस्थाऐं ही मजहब व् मजहबियों को मजबूत करने हेतु क्रियान्वित रहती है । अतः मजहबी कट्टरपंथ को दोष देने से पहले सनातन समाज को धर्म के उन ठेकेदारों को दोष देना चाहिए जो समाज को छल कर अपने निजी उद्देश्यों की पूर्ति में लगे हुए हैं ।

 

 

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