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Bulandshahr

नगर पंचायत चुनावों को लेकर भाजपा में चल रहा है गहन मंथन बनाए गए नगर पंचायत चुनाव भाजपा प्रभारी

राम अवतार राजौरा बनाए गए नगर पंचायत चुनाव भाजपा प्रभारी औरंगाबाद सोमवार को लेंगे एन पी एस पब्लिक स्कूल में बैठक 

औरंगाबाद( बुलंदशहर) भाजपा ने निकाय चुनावों के मद्देनजर गढ़ मुक्तेश्वर के पूर्व चेयरमैन राम अवतार राजौरा को औरंगाबाद नगर पंचायत का प्रभारी नियुक्त किया है। भाजपा की तमाम कयावद नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए हो रही है।

भाजपा द्वारा नव नियुक्त प्रभारी राम अवतार राजौरा सोमवार को कसबे में पहुंच कर एन पी एस पब्लिक स्कूल में भाजपाइयों की बैठक लेंगे। बैठक में जिलाध्यक्ष, सांसद, विधायक, के साथ साथ मंडल अध्यक्ष,बूथ अध्यक्ष, मतदाता सूची अध्यक्ष तथा तमाम भावी उम्मीदवारों के भाग लेने की संभावना है । बैठक में आगामी चुनाव जीतने के लिए सर्व सम्मत सर्व मान्य उम्मीदवार की उम्मीदवारी पर गहन विचार विमर्श किया जाना प्रस्तावित है।

विगत दो चुनावों का ही यदि विश्लेषण किया जाये तो लगातार दो चुनाव में फतह करने करने वाली भाजपा अंदरुनी धात प्रतिधात के चलते लगातार दो चुनावों में पराजय का मूंह देख चुकी है। वर्ष 2012के चुनाव में भाजपा ने डा गजेन्द्र लोधी को अपना उम्मीदवार बनाया था जबकि युवा राजकुमार लोधी उर्फ राजू लोधी अपनी लोकप्रियता के बल पर टिकिट के प्रबल दावेदार थे। डॉ गजेन्द्र लोधी का टिकट होते ही राजकुमार लोधी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लडने की घोषणा कर दी। और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में विजय भी हासिल करके भाजपा को ही पटकनी दे डाली थी। हालांकि राजकुमार लोधी चुनाव जीतने के फौरन बाद भाजपा में पुनः शामिल हो गए और फिलवक्त तक भाजपा का ही दामन थामें हुए हैं।

लेकिन 2017के चुनाव में स्थिति बिल्कुल उलट पलट हो गई। भाजपा ने चेयरमैन राजकुमार लोधी उर्फ राजू लोधी पर ही पार्टी उम्मीदवार के रूप में दाव लगाया । लेकिन तब तक भाजपा में गुटबाजी चरम पर पहुंच गई थी। सत्ता सुख भोग रही भाजपा के आपातकाल वीर ने स्वजातीय प्रत्याशी राजू लोधी के सामने खड़ा कर खुद ही पार्टी की क़ब्र खोद दी। विभीषण ने खुद पार्टी रुपी लंका को जला डाला और सीट समाजवादी पार्टी को बतौर तोहफा भैंट करने की भूमिका अदा कर डाली।

लगातार दूसरी बार प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा में फिलहाल चुनाव लडने वाले भावी उम्मीदवारों की संख्या आधा दर्जन के पार पहुंच चुकी है। एक दो उम्मीदवार तो यह भी तय किए बैठे हैं कि पार्टी टिकट दे तो ठीक नहीं दे तो भी चुनाव मैदान में उतर कर ताल जरुर ठोकनी है चाहे नतीजा गत चुनावों जैसा ही क्यों ना हो। उनकी नीति यही लगती है कि हम को टिकट नहीं तो जीतने भी नहीं देंगे।

असमंजस में फंसी पार्टी को अपने ही जय चंदो से निपटना होगा वो कैसे संभव होगा यह देखना दिलचस्प होगा।

जानकार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उच्च स्तरीय बैठक में नगर पंचायत अध्यक्ष पद आरक्षित किए जाने पर मंथन किया जा रहा है। आजादी के बाद से ही नगर पंचायत अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति जनजाति के लिए आरक्षित नहीं किया जा सका है। पार्टी में एक तीर से दो शिकार करने का मत रखने वाले लोगों को इस बार यह सीट अनुसूचित जाति जनजाति के लिए आरक्षित होने की प्रबल संभावना दिखाई दे रही है। अनुसूचित जाति जनजाति के लिए आरक्षित होने की दशा में भाजपा की विजय सुनिश्चित बता रहे लोगों का कहना है कि ऐसी स्थिति में उम्मीदवारी का दम भर रहे तमाम लोगों को अपने कदम पीछे खींचने के लिए बाध्य होना ही पड़ेगा।

ऊंट किस करवट बैठेगा यह वक्त ही सही रुप से बता पायेगा।

रिपोर्टर राजेंद्र अग्रवाल

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