[ia_covid19 type="table" loop="5" theme="dark" area="IN" title="India"]
धर्म

हाथ वज्र और ध्वजा विराजे का अनुशरण ही बाबा की सच्ची सेवा है – दिव्य अग्रवाल

महाबली वीर हनुमान जी महाराज के जन्म के दो मुख्य उद्देश्य हैं प्रथम विधर्मियो का समूल नाश , द्वितीय अपने आराध्य प्रभु की निस्वार्थ सेवा अतः इसी प्रकार प्रभु श्री हनुमान जी के सेवको का भी दायित्व है की प्रभु के जनमोत्स्व को मनाने वाले सेवक इन दोनों गुणों का अनुशरण करें । क्यूंकि मात्र भंडारे करने से विधर्मियो व् अधर्म का नाश कदापि हो नहीं सकता इस पर विचार करने की आवश्यकता है । प्रत्येक धार्मिक शोभायात्रा पर प्रहार किये जा रहे हैं और हनुमान जी के सेवक मात्र भंडारे करने तक ही सिमित हैं । श्री हनुमान जी के जन्मोत्सव के उदेश्य को समझते हुए प्रत्येक सनातनी को हनुमान जी के जीवन से प्रेरणा लेनी होगी । यदि धर्म व् मानवता को सुरक्षित रखना है तो हाथ वज्र और ध्वजा विराजे की चौपाई को सार्थक करना होगा प्रत्येक सनातनी को गदा हो या गदका , धनुष हो या भाला , तलवार हो या खप्पर इन सबक ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है । क्यूंकि शस्त्र के अभाव में शास्त्र कभी सुरक्षित नहीं रह सकता इसका सन्देश समूर्ण रामायण कथा में प्रभु ने सनातन प्रहरियों को दिया है । अतः यदि वास्तव में हनुमान जी महराज को खुश करना है तो मानवता की रक्षा हेतु अधर्म व् विधर्मियो के समक्ष सनातन धर्म के मार्ग पर चलते हुए शस्त्रों को धारण कर पुरुषार्थ व् शौर्य का परिचय देना ही होगा ।

दिव्य अग्रवाल(लेखक व विचारक)

Show More

Related Articles

Close