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राष्ट्रीय

मजहबी भय का बढ़ना बहुत ही घातक होगा..

भय ही वो कारण है जिसके चलते मानवता की हत्या होता देख आज तक सब मौन हैं । हिजाब प्रकरण में माननीय न्यायालय का निर्णय पसंद न आने पर कट्टरपंथियो द्वारा न्यायधीशों को धमकी मिलना व सरकार द्वारा सुरक्षा देना। होली के पर्व पर अनेकों जगह कट्टरपंथियो द्वारा पत्थरबाजी व उपद्रव करना ,बंगाल में बर्बरता पूर्वक अत्याचार होना। ये सब घटनाएं 32 वर्ष पूर्व की नही अपितु वर्तमान की ही है । कश्मीर फाइल देखने के पश्चात भी हम अपने इस्लामिक पड़ोसियों या सहकर्मियों से ये अपेक्षा नही कर सकते कि वो इन विभत्स घटनाओं

का सार्वजनिक रूप से विरोध कर सकें । अपेक्षा तो दूर हम उनसे तर्कसंगत चर्चा करने की भी हिम्मत नही जुटा पाते । जबकि मजहब के नाम पर , गुस्ताखी के नाम पर , मुस्लिम स्कॉलर ,मुस्लिम नेता , मुस्लिम धर्मगुरु खुले मंचो से , टी वी डिबेट के माध्यम से शरीयत कानून का हवाला देकर कटरपंथीयो द्वारा किए गए अमानवीय कृत्यों का बहूत ही बेशर्मी के साथ बचाव कर देते हैं । क्या इस विभत्स सोच का सामना करने की क्षमता सभ्य समाज मे है । ऐसा क्यों है कि इस विभत्स सोच के विरुद्ध जाने वाले लोगो की या तो हत्या कर दी जाती है या उन्हें धमकी देकर समाज मे भय व्याप्त किया जाता है । कश्मीर फाइल देखकर इसका स्पष्ट आंकलन किया जा सकता है कि जिन लोगो ने जिहादियों के अमानवीय दंश को झेला वो लोग भय के कारण अपने बच्चो को इस कट्टर सोच के विरुद्ध आज तक मानसिक व शारीरिक रूप से आज तक सशक्त नही कर पाए । यह निश्चित है कि यदि भय व्याप्त करने वाली मजहबी कटरपंथी विचारधरा पर अविलम्ब अंकुश नही लगाया गया। तो भविष्य में ना मानवता बचेगी और ना कोई ऐसी सरकार बन पाएगी जो मानवता संरक्षण के बारे में सोच सके ।

दिव्य अग्रवाल
दिव्य अग्रवाल(राष्ट्रवादी लेखक व विचारक, गाजियाबाद)

इससे दर्दनाक ओर क्या हो सकता है कि कश्मीर में मानव हत्या , मानव मांस खाने वाले लोगो पर कोई कानूनी कार्यवाही नही हुई , कोई सजा नही हुई । क्योंकि जिस स्थान पर आदमखोर जानवरो का डेरा जमा जाता है वो स्थान जंगल बन जाता है। एवम जंगल मे कोई लोकतंत्र या संविधान नही चलता । जंगल मे या तो आदमखोर जानवर जीवित रहता है या वो झुंड जो मजबूती के साथ एक होकर उस जानवर का सामना करने की शक्ति रखता होगा । अतः ये लोगो को सोचना है कि वो समाज व राष्ट्र को किसी जंगल मे परिवर्तित न होने दें एवम अपने परिवार को प्रत्येक परिस्थिति व चुनौती के लिए तैयार करें । क्योंकि पलायन कोई हल नही , कोई न्याय नही।

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