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कटरपंथी मित्रता और कमजोर प्रतिकार,बदायूं और बैंगलोर जैसी घटनाओं का सूचक – दिव्य अग्रवाल  

एक सोच:जघन्य अपराध करने वाले ज्यादातर लोग इस्लाम से और प्रताड़ित होने वाले लोग सनातन समाज से ही सम्बंधित क्यों होते हैं। बैंगलोर की घटना जहां पर एक दुकानदार जो हनुमान चालीसा सुन रहा था उसको इसलिए पीटा गया क्यूंकि कट्टरपंथियों को हनुमान चालीसा से दिक्कत थी। बदायूं में नाबालिग बच्चों की निर्मम हत्या पड़ोस में ही नाई की दूकान चलाने वाले साजिद और जावेद द्वारा कर दी गयी। इस प्रकार की घटनाओं को यदि बहुत बारीकी से देखा जाए तो एक तरफ गजवा ए हिन्द की घोषणा देवबंद से की जा चुकी हैदूसरी तरफ बिना किसी कारण ही गैर इस्लामिक समाज पर कट्टरपंथी  निरंतर हमला कर रहे हैं। इसके पश्चात इस्लामिक समाज का सबसे बड़ा संगठन जमीयत उलेमा ए हिन्द पुरे भारत में उन सभी कटटरपंथियों की कानूनी मदद से लेकर आर्थिक मदद भी कर रहा हैजो इस प्रकार के अपराध में संलिप्त हैं। कुछ पुरानी घटनाओ को भी देखा जाए तो कट्टरपंथी मुख्यतः दो प्रकार से हमला करते हैंपहले गैर इस्लामिक समाज से मित्रता बढ़ाते हैं  तत्पश्चात मौखिक रूप से बत्तमीजी कर आंकलन करते हैंकी जिसके साथ बत्तमीजी की जा रही है उसकी प्रतिकार क्षमता क्या है। यदि प्रारंभिक घटनाक्रम में मजबूत प्रतिकार नहीं मिलता तो यह कट्टरपंथी सीधे उस व्यक्ति की हत्या कर देते हैं। सभ्य समाज की कट्टरपंथी समाज से मित्रता,सुरक्षा साधन का अभाव और उसके पश्चात कमजोर प्रतिकार महाविनाश का सीधा आमंत्रण है। जहां जहां भी इस्लामिक समाज के कट्टरपंथी को मजबूत प्रतिकार मिला वहां उनकी कभी दुबारा क्षमता नहीं हुई की कोई भी प्रहार कर सकें। समस्या यह है की युवा पीढ़ी अपने पूर्वजों की शौर्यता को भूल चुकी है,कुछ लोग कटटरपंथ के इन कीड़ो के कायरतापूर्ण कृत्य को इनका पौरुष समझकर डर जाते हैंऔर कुछ प्रतिकार करते भी हैं तो उचित मार्गदर्शन न होने के कारण उनका प्रतिकार सिर्फ नारो , उद्घोष या सोशल एकाउंट्स तक ही सिमट कर रह जाता है। जबकि सनातन तो अधर्मी को सीधे दंडित कर अधर्म के समूल नाश की शिक्षा देता हैअब निर्णय समाज को स्वयं लेना होगा की समाज भगवद गीता,रामायण,दुर्गा सप्तशती,हनुमान चालीसा का वास्तविक अनुसरण कर अपने समाज और वंश की रक्षा करता है या कट्टरपंथ के गजवा ए हिन्द के षड्यंत्र को पूरा होता देख दुख्तरे हिन्द निलामे दो दीनार में अपनी बच्चियों की मंडी लगवाता है,

दिव्य अग्रवाल(लेखक व विचारक)

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