[ia_covid19 type="table" loop="5" theme="dark" area="IN" title="India"]
राष्ट्रीय

कहां से मिल रही शाहीन बाग़ के विरोध प्रदर्शन को ‘ताक़त’?

कहां से मिल रही शाहीन बाग़ के विरोध प्रदर्शन को 'ताक़त'?

एक सर्द रात को हम विरोध प्रदर्शन वाली गली में पहुंच गए. पहले से मुझे नहीं मालूम था कि दिल्ली में किस जगह ये प्रदर्शन हो रहा है, वही दिल्ली जो कैफ़े, आर्ट गैलरी और शॉपिंग मॉल्स से पटी हुई है.

मैंने तो सुना है कि दिल्ली में कम से कम नौ शहर हैं और यहां की अधिकांश आबादी दूसरी जगहों से आकर बसी है. लोगों ने बताया था कि बहादुर महिलाएं दिन-रात प्रदर्शन के लिए बैठी हैं, वे प्रतिरोध की कविताएं गा रही हैं, क्रांति के गीत सुन रही हैं.

साथ ही इस कंपकंपाने वाली ठंड में अपने नवजात बच्चों के लिए लोरी भी गा रही हैं, उन्हें वे इस ठंड में भी अपने साथ लेकर आई हैं. क्योंकि प्रदर्शन करने वाली ज़्यादातर महिलाएं ग़रीब हैं, अपने बच्चों के लिए नैनी नहीं रख सकती.

जो लोग ये कह रहे हैं कि बच्चों को जोखिम में डाला जा रहा है, उनके लिए इन महिलाओं का जवाब है कि वे अपने बच्चों को दुनिया या असहमति की आवाज़ से विमुख नहीं कर रही हैं. इन लोगों का कहना है कि वे सब संविधान बचाने के लिए प्रदर्शन करने को निकली हैं.

ये अनिश्चित समय है. हर कोई ‘लापता’ हो सकता है. सब इसे जानती हैं लेकिन इन लोगों ने हाइवे नहीं छोड़ा है. आसमान के साथ छतों पर भी तारे नज़र आ रहे हैं, मैं पहली बार क्रिसमस की शाम को शाहीन बाग़ गई थी.

शाहीन का मतलब

मैंने पहली बार कैंडल लाइट मार्च तब देखा था जब हमारी स्कूल की एक सीनियर की क्रूरता से बलात्कार करने के बाद हत्या कर दी गई थी. तब मैं कॉलेज में थी. वो मामला आज तक नहीं सुलझा.

नागरिकता संशोधन क़ानून, 2019 के विरोध में देशभर में चल रहे प्रदर्शनों में शाहीन बाग़ का प्रदर्शन सबसे लंबे समय से चल रहा है. अब इसकी देखा-देखी देश के दूसरे हिस्सों में भी प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं, हर जगह इसे शाहीन बाग़ ही कहा जा रहा है. सरकार इन विरोध प्रदर्शनों को दबाने की कोशिश करती रही लेकिन यह तेज़ होता गया.

एक रात, मैंने एक छोटा पत्थर उठा लिया, जिसे बुक शेल्फ़ में रखा है, एक याद के तौर पर. यहां हर अन्याय के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हो रहा है और लोग अपना विरोध गीत, कविता, नारे और शांति से प्रदर्शित कर रहे हैं.

मैं इस छोटी सी कॉलोनी में अपनी इच्छा से घूमकर यह समझने की कोशिश करती हूं कि वे क्यों विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. वे ख़ुद को पक्षी कह रहे हैं, ऐसे पक्षी जिन्होंने अपने पंख खोल लिए हैं. विकिपीडिया के मुताबिक़ शाहीन का मतलब भी ग़ैर प्रवासी बाज़ होता है.

courtesy-BBC

Show More

Related Articles

Close