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राष्ट्रीय

सीएए पर कानून की पुस्तक दिखाकर बोले कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ये कहीं से गैर संवैधानिक नहीं

सीएए पर कानून की पुस्तक दिखाकर बोले कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ये कहीं से गैर संवैधानिक नहीं

रांची: केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिहार बंद के दिन मीडियाकर्मियों के साथ हुई मारपीट की निंदा की. उन्होंने कहा कि हिंसा की मैं भर्त्सना करता हूं. मीडियाकर्मियों के साथ जो कुछ हुआ वह बेहद ही शर्मनाक था.

दूसरी तरफ बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी बिहारबंद के दिन हुई हिंसक झड़प को लेकर आरजेडी पर हमला किया. उन्होंने कहा कि कल राजद के द्वारा पूरे बिहार में बंद का आयोजन किया गया था इसके पहले वामपंथी पार्टियों के द्वारा भी बंद का आयोजन किया गया और जिस तरह की हिंसा बिहार के अंदर हुई है या देश की अनेक जगहों पर जिस तरह की हिंसा हुई है उसकी हम घोर भर्त्सना करते हैं.

उन्होंने आगे कहा कि मैं अपने मुस्लिम भाइयों से अपील करूंगा कि आप राजद और कांग्रेस के बहकावे में मत आइए, क्योंकि ये नागरिकता संशोधन बिल किसी की नागरिकता लेने के लिए नहीं है बल्कि जिनको धर्म के आधार पर तीन इस्लामिक देश मे प्रताड़ित किया गया उनको नागरिकता देने का विषय है, लेकिन तरह-तरह की अफवाह पैदा की जा रही है, तरह-तरह के दुष्प्रचार किए जा रहे हैं इसलिए मैं आपसे अपील करूंगा कि आप किसी के बहकावे में मत आइए.

NRC या CAA में संविधान के साथ छेड़छाड़ नहीं किया गया

NRC-CAA को लेकर रविशंकर प्रसाद ने संविधान की पुस्तक दिखाते हुए कहा कि इसमें स्पष्ट कहा गया है कि ये कहीं से भी गैर संवैधानिक नहीं है .ये हिन्दू,मुस्लिम,जैन और बौद्ध को नागरिकता देने के लिए बना है ना कि छीनने के लिए. महात्मा गांधी के वक्तव्यों को रखते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि जो लोग दूसरे देश में पीड़ित हैं उन्हें भारत द्वारा नागरिकता दी जानी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कई विपक्षी नेताओं के बयान पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी. मायावती और तेजस्वी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इस बिल में सबसे ज्यादा दलित ही पीड़ित हैं. हमने ऐसे लोगों को सम्मानित करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि ये मायावती जी को क्या हुआ, ये तेजस्वी क्या पढ़ते हैं.

नागरिकता कानून जितना हिंदू का उतना ही मुस्लिम का

कानून मंत्री ने इस बिल को लेकर कहा कि CAA कोई चोरी छिपे नहीं आया. संसद में दो दिन चर्चा करने के बाद पूरे संविधान के आधार पर लाया गया, हम मानते हैं कि ये जितना हिन्दू का देश है उतना ही मुस्लिम का भी है, जितने भी गरीबों के उत्थान के काम हुआ उसे हमने कभी धर्म के चश्मे से नहीं देखा. इसके साथ ही NRC को लेकर उन्होंने कहा कि अभी इसकी कोई रूप रेखा तैयार नहीं है. 3 दिसंबर को पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की सरकार इस नियम को लेकर आई. इसको लेकर कुछ फिल्म स्टार भी गलतफहमी में पड़ गए. उन्होंने कहा कि हम लोकतंत्र का सम्मान करते हैं और यहां पर को अपने बात रखने की आजादी है. इसमें टुकड़े-टुकड़े गैंग भी काफी सक्रिय है. अभी इस पर चर्चा बेबुनियाद है.

रविशंकर प्रसाद ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस से सवाल है कि क्या इस हिंसा का वह समर्थन करते हैं और राजद से सवाल है कि लोगों के वाहनों को तोड़कर वह क्या दर्शाना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि सारे मुख्यमंत्री संविधान की शपथ लेते हैं अगर वो कहे कि हम इस कानून को लागू नहीं करेंगे इससे कैसे काम चलेगा. संसद की बहस लाइव होती है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से 2830, अफगानिस्तान से 912, वहीं सऊदी से 14800 लोगों को नागरिकता दी गई है और बाकियों को उनकी आस्था के आधार पर नागरिकता दी गई है.

सुशील मोदी ने कहा बिहार में नागरिकता बिल पर हंगामा क्यों बरपा

सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में जो इतना हंगामा हो रहा है यहां तो कोई शरणार्थी हैं नहीं. कुछ गिने चुने ही लोग होंगे तो फिर यहां किसको डर है. बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से जो शरणार्थी आये वो मुख्य रूप से आसाम, पंजाब और गुजरात के इलाकों में हैं. उन्होंने कहा कि भारत की संविधान की धारा 25 से 30 के बीच में अगर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को अपनी संस्था चलाने के लिए अधिकार दिया गया तो क्या वो असंवैधानिक है? ये पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश अगर इस्लामिक देश नहीं होते तो हम कभी वहां से आने वाले लोगों को नागरिकता प्रदान नहीं करते. ये तीनों देश खुद को इस्लामिक बताते हैं क्या ये लोग वो दिन भूल गए कि किस तरह से बांग्लादेश में हजारों मंदिरों को तोड़ा गया. महिलाओं का बालात्कार किया गया. उनका धर्मांतरण किया गया. हिन्दू होने के नाते उन्हें उस देश से भागने को बाधित किया गया.

सुशील मोदी का बयान कहा शरणार्थियों को नागरिकता देने की बात मनमोहन सिंह ने भी की थी

सुशील मोदी ने कहा कि 2003 में अटल जी के सरकार में मनमोहन सिंह ने कहा था कि बंटवारे के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा है और ये हमारा नैतिक दायित्व है कि दुर्भाग्यपूर्ण नागरिक को अगर भारत में शरण लेनी पड़े तो इन्हें नागरिकता देने में और लिबरल होना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये बयान किसी बीजेपी के नेता का नही मनमोहन सिंह का है और प्रकाश करात ने 2012 में मनमोहन सिंह को पत्र लिखा उस समय वो सीपीएम के जनरल सेक्रेटरी थे. वह पत्र में लिखते हैं कि नागरिकता संशोधन बिल 2003 में के क्लोज 1/6 में लिखा है कि संशोधन कर बांग्लादेश के शरणार्थियों के लिए प्रावधान किया जाना चाहिए, अधिकांश शरणार्थी शुद्र व मांझी जाति के हैं. इतना ही नहीं उन्होंने मनमोहन सिंह के भाषण का स्मरण कराया कि आपने कहा था कि इन शरणार्थियों के प्रति व्यापक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए. जिन्हें बांग्लादेश में प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा है. आगे प्रकाश करात कहते हैं कि हम सभी व्यक्तियों के लिए मानवीय दृष्टिकोण रखते हैं परंतु नागरिकता के मुद्दे पर हम आपके विचार से सहमत हैं. जिसकी वकालत आपने 2003 में भारत की सांसद में करने का काम किया था.

इतना ही नहीं 28 फरवरी 2004 को जब नागरिकता संशोधन रूल बना. जिसके बाद में मनमोहन सरकार ने लागू रखने का काम किया था. एक बार नहीं पूरे तीन बार कांग्रेस सरकार ने इस रूल को विस्तारित करने का काम किया. जिसमें भी इन सभी देशों से आने वाले लोगों के लिए नागरिकता का प्रावधान किया गया था. इसलिए ये और कुछ नहीं बल्कि जबरदस्त तरीके से देश में भ्रम पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मेरा बस यही आग्रह है कि ये कानून किसी धर्म के खिलाफ नहीं है और हम अपने मुस्लिम भाइयों को जाकर बताएंगे कि आपको जो बरगला रहे हैं आप उनके बहकावे में ना आये. इस देश के अंदर इतनी बड़ी संख्या में मुसलमान रहते हैं उनको कोई निष्कासित नहीं कर सकता है. कोई उनकी नागरिकता को नहीं छीन सकता है.

सुशील मोदी ने कहा कि महबूबा मुफ्ती का ट्वीट आया कि बीजेपी ने जल्दी-जल्दी में 370 को खत्म किया, राममंदिर का फैसला करवा दिया और अब नागरिकता संशोधन कानून ले आई. उन्होंने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि क्या राम मंदिर का फैसला बीजेपी ने किया? यूपीए की सरकार में एक्ट बना की कोर्ट जो फैसला करे जमीन उसे सौंप दी जायेगी, आज जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लिया तो क्या ये बीजेपी का फैसला है.

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