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पाकिस्तानी गोलीबारी में हुए थे घायल… हौसले की मिसाल है बिपिन रावत का ये किस्सा

1993 में पाकिस्तानी गोलीबारी में हुए थे घायल... हौसले की मिसाल है बिपिन रावत का ये किस्सा

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं. तमिलनाडु में 08 दिसंबर 2021 को हुए हेलिकॉप्टर क्रैश हादसे में CDS रावत का निधन हो गया है. रावत के साथ उनकी पत्नी की भी इस हेलिकॉप्टर हादसे में जान चली गई है. बिपिन रावत ने अपने जीवन का ज्यादातर वक्त भारतीय सेना में सेवा देकर गुजारा है.

बिपिन रावत ने सेना में रहते कई कठिन परिस्थितियां का सामना किया. ‘इंडिया टुडे’ के साथ अपने अनुभव को शेयर करते हुए उन्होंने बताया था कि 1993 को वे सेना में यूनिट 5/11 गोरखा राइफल्स के मेजर थे और 17 मई को उरी (कश्मीर) में गश्त के दौरान पाकिस्तान की ओर से हो रही भारी गोलीबारी की जद में आ गए थे. बिपिन रावत के पैर के टखने पर एक गोली लगी थी और दाहिने हाथ पर छर्रे का एक टुकड़ा लगा था.

किस्मत से उस वक्त उन्होंने कैनवस एंकलेट पहन रखा था, जिसकी वजह से गोली के तेज रफ्तार को तो झेल लिया था, लेकिन फिर भी उनका टखना चकनाचूर हो गया था. जिसके बाद उन्हें श्रीनगर के 92 बेस अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने शानदार कौशल का परिचय देते हुए हाथ और टखने को दुरुस्त कर दिया था.

बिपिन रावत ने बताया था कि गोली लगने के बाद सेना में एक युवा अधिकारी के रूप में उन्हें इस बात की टेंशन होती थी कि कहीं उन्हें महू (मध्य प्रदेश) में अपने सीनियर कमान कोर्स में शामिल होने से वंचित न रहना पड़े. हायर कमान कोर्स (सेना में पदोन्नति के लिए आवश्यक) के इसे पास करना जरूरी था. उस दौरान लोगों ने बिपिन रावत से कहा था कि सेना में अब उनका करियर खत्म हो चुका है.

 

लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एक महीने बीमारी की छुट्टी ली. फिर धीरे-धीरे बैसाखी के सहारे चलना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्हें रेजिमेंटल सेंटर लखनऊ में वापस तैनात किया गया. उरी में यूनिट के सीओ (कमांडिंग ऑफिसर) ने कहा था कि मिलिट्री सेक्रेटरी ब्रांच की सहमति हो तो वे बिपिन रावत को वापस यूनिट में रखने को तैयार हैं.

 

बिपिन रावत के जीवन की कई घटनाएं रही हैं, यह उनमें से एक उनके हौसले और हिम्मत की मिसाल है. 1993 में पाकिस्तानी गोलाबारी में घायल होने के बावजूद न तो सेना में अपने करियर को प्रभावित होने दिया और न ही अपने जीवन को. जीवन की किसी भी बाधा के दौरान वो घबराए नहीं और खुद पर भरोसा रखते हुए आगे बढ़े.

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