[ia_covid19 type="table" loop="5" theme="dark" area="IN" title="India"]
धर्म

11 अप्रैल को संकष्टी चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

वैशाख कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि और शनिवार का दिन है | चतुर्थी तिथि शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगी | उसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जायेगी | आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार 11 अप्रैल को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत है।  प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि कोसंकष्टी श्री गणेश चतुर्थीऔर शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है | आज कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है | लिहाजा संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत किया जायेगा | जैसा कि नाम से ही पता चलता है- हर तरह के संकटों से छुटकारा दिलाने वाला व्रत | संकष्टी चतुर्थी के दिन विघ्नविनाशक, संकटनाशक, प्रथम पूज्नीय श्री गणेश भगवान की पूजा-अर्चना किया जाता है |

भगवान गणेश बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य को देने वाले हैं | इनकी उपासना शीघ्र फलदायी मानी गयी है | ऐसी मान्यता भी है कि जो व्यक्ति आज के दिन व्रत रखता है, उसके जीवन से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं | अतः आपके जीवन में किसी प्रकार का संकट चल रहा है, कोई परेशानी चल रही है या आपका कोई काम बहुत दिनों से अटका हुआ हो, तो इन सब समस्याओं से छुटकारा पाने के लिये आज का दिन बड़ा ही अच्छा है।

संकष्ठी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त

10 अप्रैल को रात 9 बजकर 31 मिनट से चतुर्थी तिथि का आरंभ
11 अप्रैल को चतुर्थी तिथि सायं 07 बजकर 02 मिनट तक।

​संकष्टी चतुर्थी की पूजन विधि
गणेश चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर भगवान गणेश की स्मरण करें। इस दिन व्रत रखें और हो सके तो लाल रंग के कपड़े पहने। भगवान की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर रखें। तत्पश्चात स्वच्छ आसन पर बैठकर भगवान गणेश का पूजन करें। इसके बाद  मौली, अक्षत, पंचामृत, फल, फूल, रौली, आदि से श्रीगणेश को स्नान कराके विधिवत तरीके से पूजा करें। अब गणेश पूजन के दौरान धूप-दीप आदि से श्रीगणेश की आराधना करें।

भगवान गणेश को तिल से बनी वस्तुओं बहुत पसंद होती है। तिल-गुड़ के लड्‍डू तथा मोदक का भोग लगाएं। ‘ऊं सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति आपको नमस्कार है। नैवेद्य के रूप में मोदक व ऋतु फल आदि अर्पित है। विधिवत तरीके से गणेश पूजा करने के बाद गणेश मंत्र ‘ऊं गणेशाय नम:’ अथवा ‘ऊं गं गणपतये नम: की 108 बार जाप करें। सायंकाल में व्रतधारी संकष्टी गणेश चतुर्थी की कथा पढ़े अथवा सुनें और सुनाएं। तत्पश्चात गणेशजी की आरती करें।

Show More

Related Articles

Close