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ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के इस प्लान से आदमी सहित किसानों को होगा सीदा फायदा

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के इस प्लान से आदमी सहित किसानों को होगा सीदा फायदा

बढ़ते पेट्रोल – डीजल के दामों के बीच केंद्र सरकार वैकल्पिक ईंधन के तौर पर एथेनॉल के इस्तेमाल को बढ़ाने की बात कह रही है. सरकार 6 महीने में देश भर में एथेनॉल पंप स्थापित करने की तैयारी में है. ऐसा कहा जा रहा है कि एथेनॉल के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन कम तो होगा साथ ही लोगों पर पेट्रोल के खर्च का भार भी कम हो जाएगा. एथेनॉल के इस्तेमाल को लेकर लोगों के बीच कई सवाल हैं. आइये जानते हैं एथेनॉल से जुड़ी खास बातें.

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से एथेनॉल गाड़ियां बनाने की अपील

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने फ्लेक्सी -फ्यूल इंजन मैन्यूफैक्चर करने की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से अपील की है. फिलहाल भारत में एथेनॉल से चलने वाली कुछ ही गाड़ियां हैं, जिनका पुणे में ट्रायल चल रहा है. कुछ साल पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एथेनॉल से चलने वाली बस का नागपुर में ट्रायल किया था. इसके अलावा टीवीएस ने भी फ्लेक्सी-फ्यूल इंजन बाइक पेश की थी, हालांकि उसे मार्केट में नहीं उतारा गया.

भारत में अभी तीन एथेनॉल स्टेशन

भारत में सिर्फ पुणे ही इकलौता शहर है जहां तीन एथेनॉल स्टेशन हैं. इसी साल 5 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन E- 100 एथेनॉल डिस्पेंसिंग स्टेशन की शुरुआत की थी. इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पायलट प्रोजेक्ट के तहत पुणे में कुछ एथेनॉल फ्यूल बेस्ड गाड़ियां चलाई जा रही हैं.

कैसे होते हैं फ्लेक्सी -फ्यूल व्हीकल्स

फ्लेक्सी -फ्यूल व्हीकल्स को ऑटोमोबाइल की दुनिया में FFVs के नाम से भी जाना जाता है. पेट्रोल- डीजल से चलने वाली गाड़ियों की तुलना में इनमें कुछ फीचर्स अलग होते हैं. फ्लेक्सी-फ्यूल व्हीकल्स के इंजन में आप अलग – अलग अनुपात में पेट्रोल और एथेनॉल मिलाकर चला सकते हैं. फिलहाल भारत में फ्लेक्स फ्यूल पर चलने वाली गाड़ियां मार्केट में नहीं आई हैं.

एथेनॉल – पेट्रोल मिक्स करने पर क्या गाड़ियों के इंजन खराब हो जाएंगे?

पेट्रोल और एथेनॉल को मिक्स करने पर क्या गाड़ियों के इंजन खराब हो जाएंगे? यह सवाल हर किसी के मन में हैं. इस पर ऑटोमोबाइल इंजन एक्सपर्ट राजन सोलंकी का कहना है कि पेट्रोल और एथेनॉल 7-8 प्रतिशत मिलाकर इस्तेमाल करने पर गाड़ियों के इंजन पर कोई भी फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि एथेनॉल मिला पेट्रोल क्वालिटी चेक से होकर गुजरता है. भारत में फिलहाल पेट्रोल में एथेनॉल का अनुपात 8.5% है, जिसे बढ़ाकर केंद्र सरकार 20% करने की तैयारी में है.

क्या कहती है एथेनॉल पर हुई स्टडी

ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट्स के अनुसार भारत में अभी ऐसी कोई स्टडी नहीं हुई है जो ये बताती है कि एथेनॉल आपके कार के इंजन की सेहत खराब कर देगी. हालांकि, उन्होंने बताया कि अमेरिका में यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी ने अल्कोहल बेस्ड फ्यूल का गाड़ियों के इंजन पर होने वाले असर पर एक स्टडी की थी, जो सोसाइटी ऑफ ऑटोमोटिव इंजीनियर्स ( SAE) में पब्लिश हुई थी. इस स्टडी में एथेनॉल और मेथेनॉल को पेट्रोल के साथ अलग – अलग मात्रा में 2.3 लीटर इंजन पर ASTM सीकवेंस V-D टेस्ट किया गया था. इसमें यह सामने आया था कि अल्कोहल फ्यूल एथेनॉल और मेथेनॉल के 40 से 50 प्रतिशत के इस्तेमाल से इंजन के पुर्जों की क्षमता प्रभावित होगी. जबकि 10 प्रतिशत तक इस्तेमाल से इंजन पर कोई असर नहीं पड़ता.

एथेनॉल के इस्तेमाल में ब्राजील नंबर वन

दुनिया भर में ब्राजील में सबसे ज्यादा गन्ने की पैदावार होती है. जिसकी वजह से ब्राजील में एथेनॉल का प्रोडक्शन आसानी से हो जाता है. 40 साल पहले ब्राजील ने एथेनॉल स्ट्रेटर्जी को आम लोगों के बीच उतारा था और इसका फायदा सीधा उनकी अर्थव्यवस्था को हुआ और ब्राजील ने तेल का आयात घटाया. अब ब्राजील के पास फ्लेक्सी फ्यूल गाड़ियों की सबसे बड़ी फ्लीट है. जो पेट्रोल और एथेनॉल के मिक्सचर पर चलती है. ब्राजील के बाद भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा गन्ने की पैदावार करने वाला देश है. इसलिए सरकार एथेनॉल के इस्तेमाल पर जोर दे रही है.

दुनिया भर में एथेनॉल की क्या है प्राइस

एथेनॉल की दुनिया भर में एवरेज प्राइस 1.07 यूएस डॉलर है. यानी की करीब 78 रुपये प्रति लीटर. हालांकि, हर देश के टैक्स सिस्टम के हिसाब से एथेनॉल की प्राइस कहीं कम तो कहीं ज्यादा है. ग्लोबल पेट्रोल प्राइस वेबसाइट के मुताबिक, 30 अगस्त 2021 तक सबसे महंगा एथेनॉल स्पेन में बिकता है. यहां एक लीटर एथेनॉल की प्राइस 140 रुपये है, थाईलैंड में एथेनॉल सबसे सस्ता है. यहां एथेनॉल 51 रुपये प्रति लीटर) है. जबकि अमेरिका में 51.46 रुपये है, फ्रांस में 61.66 रुपये , ब्राजील में 64.96 रुपये , स्वीडन में 108.88 रुपये है.

क्या है एथेनॉल और ये बनता कैसे है

एथेनॉल एक बायो-फ्यूल है. जिसे अल्कोहल बेस्ड फ्यूल भी कहा जाता है. यह गन्ना, मक्का जैसे पौधों से बनता है. इसे बनाने के लिए स्टार्च और शुगर का फर्मेंटेशन होता है. इसे बनाने की लागत कम होती है साथ ही इसका रॉ मटेरियल आसानी से उपलब्ध हो जाता है.

किसानों को सीधे फायदा

एथेनॉल को बनाने के लिए गन्ना, मक्का, कपास के डंठल, गेंहू का भूसा और बांस आदि का इस्तेमाल किया जाता है. एथेनॉल की जैसे-जैसे मांग बढ़ेगी वैसे ही एथेनॉल बनाने के लिए रॉ मटेरियल की जरुरत पड़ेगी जो किसानों के जरिए मिलेगा. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट आर . के मिश्रा ने बताया कि एथेनॉल के इस्तेमाल से किसानों को सीधे फायदा होगा. क्योंकि अभी गन्ने का इस्तेमाल शक्कर बनाने के लिए किया जाता है और शक्कर के कंजम्शन में काफी वक्त लगता है. सरकार भी 6 माह का शक्कर का स्टोरेज अपने पास रखती है. ऐसे में किसान को काफी इंतजार करना पड़ता है. एथेनॉल की मांग बढ़ते ही किसान दैनिक व्यापार कर सकेंगे.

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