गौतमबुध नगर
बसपा से चुनाव लड़ेंगे पूर्व विधायक राजेंद्र सोलंकी भाजपा प्रत्याशी डॉ महेश शर्मा का बिगाड़ेंगे गणित?
क्या बसपा की चाल होगी कामयाब भाजपा प्रत्याशी को दे पाएंगी टक्कर
ग्रेटर नोएडा : गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट अब काफी दिलचस्प होती जा रही है जैसा की पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह सोलंकी ने ग्लोबल न्यूज 24×7 के मुख्य संपादक ओमप्रकाश गोयल को बताया है कि गौतम बुध नगर लोकसभा सीट पर बसपा से उनको प्रत्याशी बनाए जाने की शीघ्र घोषणा होने जा रही है यदि ऐसा होता है तो गौतम बुध नगर लोकसभा सीट भाजपा प्रत्याशी डॉ महेश शर्मा को को काफी कड़ी टक्कर मिल सकती है ,बताते चलें कि राजेंद्र सिंह सोलंकी राजनीति के चाणक्य कहे जाते हैं और काफी पुराना अनुभव भी लिए हुए हैं, गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर अपने ठाकुर समाज के साथ-साथ मुस्लिम जाट गुर्जर सहित सभी जातियों में अपनी एक पहचान रखते हैं ब्राह्मण समाज में भी काफी पकड़ मानी जाती है सिकंद्राबाद के पूर्व विधायक राजेंद्र सोलंकी को बसपा से प्रत्याशी घोषित होने की चर्चा से गौतम बुध नगर लोकसभा सीट पर राजनीतिक माहौल काफी गर्म हो गया है,
बृहस्पतिवार को उनके नाम की घोषणा को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। सोलंकी कांग्रेस से एक बार विधायक रह चुके हैं साथ ही भाजपा से भी विधायक का चुनाव लड़ चुके हैं। राजनीति जानकारों का कहना है कि तीनों प्रत्याशी तीन बिरादरियों से पार्टियों ने जातिगत आंकड़ों को देखते हुए उतारे हैं। इससे इस सीट पर दिलचस्प टक्कर होने के आसार हैं,
दरअसल, गौतमबुद्धनगर लोकसभा में 26.20 लाख मतदाता हैं। इनमें ब्राह्मण, ठाकुर, गुर्जर, दलित और मुस्लिम की लगभग बराबर आबादी मानी जाती हैं। जबकि वैश्य, जाट, यादव, माली, कोली और लोद समेत
अन्य बिरादरी भी ठीक स्थिति में हैं। भाजपा ने पहले से ही सांसद डॉ. महेश शर्मा पर दांव खेला है तो सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर से गुर्जर प्रत्याशी राहुल अवाना को उतारा गया है। बसपा की ओर से सिकंद्राबाद से पूर्व विधायक के मैदान में उतरने की बात कही जा रही है। जिससे ब्राह्मण, गुर्जर और ठाकुर बिरादरी के प्रत्याशियों में टक्कर होगी।
जानकारों का कहना है कि राजेंद्र सोलंकी ठाकुर बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में ठाकुर समाज के मतदाताओं की संख्या ढाई लाख मानी जा रही है। जबकि करीब इतने ही – दलित भी बताए जाते हैं। अब देखना है कि बसपा राजेंद्र सिंह सोलंकी को अपना प्रत्याशी बनाकर अपने राजनीतिक चाल में कितनी सफल होती है ,