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राष्ट्रीय

शिक्षा पद्धति में भारतीय महापुरुषों एवं संस्कृति का ज्ञान है आवश्यक

शिक्षा पद्धति में भारतीय महापुरुषों एवं संस्कृति का ज्ञान है आवश्यक - दिव्य अग्रवाल

राज्य सभा सांसद आदरणीय श्री अनिल अग्रवाल जी राष्ट्रहित व सभ्य समाज के निर्माण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते हैं । जिसके निमित श्री अनिल अग्रवाल जी ने राष्ट्रवादी विचारक व लेखक दिव्य अग्रवाल के आग्रह व निवेदन को स्वीकार करते हुए शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान जी को पत्र लिखकर उक्त मांग का संज्ञान लेने का अनुग्रह किया । दिव्य अग्रवाल का कहना है कि श्री अनिल अग्रवाल जी बहूत ही सहज , सरल व कुशल व्यवहार के व्यक्ति हैं एवम समाज द्वारा राष्ट्रहित में किए गए प्रत्येक प्रयास की सांसद श्री अग्रवाल जी न केवल सराहना करते हैं अपितु त्वरित रूप से उपयुक्त कार्यवाही भी करते हैं । एन सी ई आर टी पाठ्यक्रम के सम्बंध में कुछ विषयो को लेकर दिव्य अग्रवाल ने माननीय सांसद जी से निवेदन किया है कि भविष्य में सशक्त राष्ट्र निर्माण हेतु निम्नलिखित बदलाव नितान्त आवश्यक है । एन सी ई आर टी केंन्द्रीय विद्यालय पाठ्यक्रम में विदेशी आक्रांता औरंगजेब व् अकबर के बारे में बताया गया है । कक्षा पांच की हिंन्दी पुस्तक में 33 पेज पर नन्हा फ़नकार की कहानी में अकबर को एक दरियादिल बादशाह के रूप में प्रदर्शित किया गया । परन्तु छत्रपति शिवाजी महाराज , महराजा छत्रसाल , राणा सांगा , महराणा प्रताप , गुर्जर सम्राट मीहीर भोज, महाराजा भामाशाह , महाराजा अग्रसैन , स्वामी दयानन्द सरस्वती जी , परम श्रध्येय स्वामी श्रद्धानन्द जी , स्वामी विवेकानंद जी , वीर सावरकर जी , बाजीराव पेशवा जैसे उन असंख्य महापुरुषों के बारे में प्रारम्भिक अध्ययन में नहीं बताया गया जिन्होंने राष्ट्र निर्माण हेतु अपना सर्वोच्च बलिदान कर दिया ।

इसी प्रकार पेज नंबर १० पर एक दिन की बादशाहत की कहानी बताई गयी है । जिसमे देखने वाली बात यह है की हिंन्दी पुस्तक होने के पश्चात भी कहानी में बहुत जगह उर्दू शब्दों का उपयोग किया गया है। मात्र अंग्रेजो के विरुद्ध लड़ने वाले ही नहीं अपितु वो सभी महापुरुष जिन्होंने विदेशी आक्रांताओ के विरुद्ध लोहा लिया वो सभी भारत के लिए राष्ट्रभक्त व् देशभक्त हैं । बच्चो का मस्तिष्क बहूत ही कोमल व् तीव्र होता है एवम अल्पायु में जो शिक्षा उन्हें प्राप्त होती है उस शिक्षा को कभी भुलाया नही जा सकता है। अतः यदि वो अपने महापुरुषो के बलिदान व् त्याग को नहीं जानेंगे तो एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कैसे सम्भव होगा । एन सी ई आर टी के पाठ्यक्रम केंन्द्रीय विद्यालय कक्षा पांच की EVS पुस्तक में तीसरे पेज पर एक पिक्चर के माध्यम से बताया गया है की कोरोना के चलते सबको कैसे अभिवादन करना है उस पिक्चर में मुस्लिम , क्रिस्चन , सिख व्यक्ति की फोटो उनकी परम्परागत धार्मिक वेशभूषा में प्रदर्शित की गयी है । जबकि हिन्दू धर्म के व्यक्ति की परम्परागत धार्मिक वेशभूषा में फोटो प्रदर्शित नहीं की गयी । भारतीय संस्कृति के अभिवादन प्रतीक नमस्ते जी जिसको पुरे विश्व ने सार्वजनिक रूप से अपनाया उस प्रतीक को पिक्चर में प्रथम स्थान की जगह तीसरे स्थान पर प्रदर्शित किया गया । पिक्चर में धार्मिक अभिवादन सलाम – वालेकुम आदि को भी प्रदर्शित किया गया जिसमे कोई आपत्ति नहीं है परन्तु यदि धार्मिक अभिवादन प्रदर्शित करना है तो नमस्ते के स्थान पर जय श्री राम या हर हर महादेव भी लिखना चाहिए था ।आग्रह के माध्यम से शिक्षा मंत्रालय से अनुरोध किया गया । यदि भारत की पीढ़ी को राष्ट्र भक्त एवं आदर्श व्यक्तित्व वाला नागरिक बनाना है तो उन महापुरुषों को अवश्य पढ़ाएं जिन्होंने भारत की अस्मिता , परम्परा व् मानवता को बचाने हेतु अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया एवं मंत्रालय ये भी सुनिश्चित करे की पाठ्यक्रम में वामपंथी व् कटटरवादि विचारधारा का स्थान बिलकुल नहीं होना चाहिए । आजादी के बाद दूसरी सरकारों ने इतने वर्षो तक शिक्षा के माध्यम से जिस विचारधारा को प्रसारित किया उस विचारधारा एवं मानस्किता पर अविलम्ब प्रतिबंध लगना चाहिए । पाठ्यक्रम में भारतीय संस्कृति एवं परम्पराओ को सर्वोच्च स्थान मिलना चाहिए जिससे भारत की नींव ओर भी मजबूत हो सके एवम धार्मिक तुस्टीकरण की मानसिकता को पाठ्यक्रम से अविलम्ब हटवाने का भी अनुरोध किया गया ।

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