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जिहादियों ने अपनाया थूक जिहाद, हिंदू महिला के सिर पर थूक कर काटे बाल

क्या कट्टरपंथियों के थूक जिहाद का अवलोकन नही होना चाहिए-दिव्य अग्रवाल।

जावेद हबीब हेयर फैशन बाजार में एक बड़ी जगह रखते हैं। लेकिन उन्होंने जो कृत्य किया है उससे ये प्रमाणित भी हो जाता है कि आप कितने ही बड़े स्तर पर क्यों न पहुंच जाए परन्तु आपकी मानसिकता आपके कुकृत्य को उजागर कर ही देती है । बहुत सारे लोगों से ये सुना था कि कटरपंथी मानसिकता वाले लोग दूसरे धर्मों के लोगों को अपने थूक से या तो किसी न किसी तरीके से स्पर्श करते हैं या काफ़िर मानते हुए खाने पीने की चीज में अपना थूक मिला देते हैं ।

इसी क्रम में जावेद हबीब ने एक कार्यक्रम किया जिसमें उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने सहकर्मियों व सहयोगियों को शिक्षा देते हुए एक हिन्दू महिला के सर पर उस जगह थूका जहां एक सनातनी महिला अपनी मांग में अपने सुहाग के नाम का पवित्र सिंदूर भरती है । जावेद हबीब यहाँ ही नही रुके उन्होंने सभी सहकर्मियों को ये शिक्षा भी दी कि हमारे थूक में बहूत ताकत है पानी ना होने पर थूक का उपयोग करना चाहिए । जावेद हबीब ने तो अपनी मानसिकता का परिचय दे दिया परन्तु क्या वह महिला भी मानसिक दिवालिया हो चुकी थी । जो तत्काल इस कुकृत्य का जवाब नही दे सकी ।

इस तरह के कृत्य जावेद हबीब ही नही बल्कि वो लोग भी करते हुए कई बार देखे गए हैं जिन्होंने अपनी कट्टरपंथी मानसिकता के कारण रोटियों में , फलों में , सबज्जियो में अनेकों बार अपना थूक मिलाया है । ये बात भी गजब है साहब आधुनिकता के नाम पर कोई व्यक्ति सरेआम हमारे सर पर थूक देता है एवम इस कोरोना काल मे भी हम सहज रूप से उस थूक को भी स्वीकार कर लेते हैं। आमिर खान जैसे बड़े कलाकार भी सार्वजनिक मंचो पर अपने हाथ पर थूक कर अन्य लोगो से हाथ मिलाते हुए कई बार देखे गए हैं। अब प्रश्न यह है कि जब हम अपने घरों में पूर्ण स्वछता का पालन करके कुछ खाते पीते हैं तो क्या उन लोगो के साथ या उनके यहां कुछ खान पान किया जा सकता है जो लोग आमिर खान , जावेद हबीब जैसे लोगो की मानसिकता से प्रेरित है ।

दिव्य अग्रवाल
दिव्य अग्रवाल(राष्ट्रवादी लेखक व विचारक, गाजियाबाद)

ये मानसिकता क्या केवल किसी व्यक्ति तक सीमित है या ये मानसिकता धार्मिक रूप से गैरइस्लामिक या काफिरो के प्रति कट्टरपंथियों के मस्तिष्क व जहन में स्थापित है ।

इसका अवलोकन भी सभ्य समाज को करना चाहिए एवम बुद्धिजीवी समाज को यह भी निर्णय लेना होगा क्या जावेद हबीब के द्वारा संचालित व प्रसारित दुकानों पर अपने बालों,चेहरों आदि से संबंधित कार्य करवाने के लिए जाना चाहिए । क्योंकि जब इनके थूक में इतनी ताकत है तो ये थूक ,फेस क्रीम , फेसिअल, मसाज आदि में भी तो मिलाया जा सकता है क्योंकि उस समय तो कार्य करवाने वाले कि आंखे लगभग बंद ही करवा दी जाती हैं।

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