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अपराध

जेल के खाने में है स्वास्थ्य की गारंटी

राजेश बैरागी (वरिष्ठ पत्रकार)

जेल का खाना स्वास्थ्य की दृष्टि से कैसा होता है? क्या यह घटिया गुणवत्ता और न खाए जाने योग्य होता है या इसे खाने से किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न न होने की गारंटी रहती है?मेरे मस्तिष्क में यह प्रश्न दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का तिहाड़ जेल में रहने के दौरान शुगर स्तर बढ़ने की शिकायत के बाद पैदा हुआ है। केजरीवाल जेल में रहने के बावजूद न्यायालय की अनुमति से घर का खाना खा रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि मीठी चाय,आम, केला और मिठाई खाने से केजरीवाल का शुगर स्तर बढ़ा है जिसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार हैं।आम आदमी पार्टी के नेताओं का आरोप है कि उन्हें जेल में शुगर को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक इंसुलिन नहीं दिया जा रहा है। मैं वापस जेल में बंदियों को दिए जाने वाले खाने पर लौटता हूं और इसी होली पर एक दिन के लिए गौतमबुद्धनगर जिला कारागार की यात्रा पर गए चार लोगों के अनुभव को साझा करता हूं।पूरे 24 घंटे जेल में बंद रहने के दौरान उन्होंने वहां दोपहर का भोजन किया। यह भोजन पशुओं को खिलाए जाने वाले चारे से किसी प्रकार उन्नीस नहीं था। आलू पत्ता गोभी की सब्जी में आलू नदारद था और पत्ता गोभी के कटा होने और साबुत होने में अंतर करना मुश्किल था। सब्जी में नमक नहीं था। खाने योग्य न होने के कारण वहां खाना बंटने के साथ कैंटीन की सब्जी रेलवे स्टेशनों की तर्ज पर बिकने लगी।दस रुपए में एक चमचा मिलने वाला यह सब्जी के नाम पर नमक मिर्च का पानी ही होता है जिससे कैदी रोटी लगाकर खा सकते हैं। तिहाड़ जेल के खाने के बारे में मेरी कोई जानकारी नहीं है परंतु समानता के आधार पर कहा जा सकता है कि वहां भी खाना इससे उन्नीस तो नहीं होगा। केजरीवाल के लिए यह खाना स्वास्थ्य की दृष्टि से कैसा रहेगा? दरअसल नेता और सक्षम लोग जेल में बेचैन रहते हैं। उन्हें बाहर आने के लिए स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का ही सहारा होता है। ईडी को यह भी स्वीकार नहीं है,

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