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राष्ट्रीय

1947 का वो मनसूबा जिसके लिए कटरपंथी आज भी प्रयासरत हैं

१९४७ का वो मनसूबा जिसके लिए कटरपंथी आज भी प्रयासरत हैं- दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक)

दिल्ली पर कब्जा करना कट्टरपंथियो की वो इच्छा है जिसके लिए १९४७ से लेकर आज तक कटरपंथी संगठन निरन्तर प्रयासरत है। तब से लेकर आज तक मज्जिदो से इस कार्य हेतु संचालन होता आ रहा है । इस विषय की गंभीरता को समझने हेतु ६ एवम ७ सितंबर १९४७ की मध्य रात्रि की उस गुप्त सूचना को समझना होगा जिसमें सरदार पटेल जी को सूचना दी गई कि दिल्ली के सक्षम व बुद्धिजीवी मुसलमानों के मार्गदर्शन में एक योजना बनाई गई है जिसका उद्देश्य दिल्ली की संसद पर हमला करके सभी जनप्रतिनधियो की हत्या कर लाल किले पर इस्लामिक झंडा फैराना है । इस योजना का पूरा खाका दिल्ली विश्वविद्यालय के वरिष्ठतम अधिकारी की कोठी पर रखा था जिसको खोसला नामक एक स्वमसेवक ने अपनी जान पर खेलकर बहूत चतुराई के साथ उस वरिष्ठ अधिकारी की कोठरी से निकालकर भारत की नवनिर्मित सरकार को लाकर दिया था । उस खाके के आधार पर दिल्ली की बड़ी मज्जिदो की सघन जांच की गई जिसमें अंग्रजो से खरीदे हुए एवम स्वनिर्मित बहूत बड़ी मात्रा में आधुनिक शस्त्रास्त्र बरामद किए गए ।

दिव्य अग्रवाल
दिव्य अग्रवाल(राष्ट्रवादी लेखक व विचारक, गाजियाबाद)

उस समय तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष आचार्य कृपलानी ने इस बात की पुष्टि की थी कि सरकार में बड़े मुस्लिम अधिकारी व मुस्लिम पुलिसकर्मी इस योजना में शामिल थे । वर्तमान में इस परिपेक्ष को समझते हुए स्मरण करना होगा की १३ दिसम्बर २००१ को भी संसद पर हमला हुआ था एवम हमले के आरोपियों की मदद व कानूनी लड़ाई भारत के ही इस्लामिक संगठनों ने लड़ी थी । आज भी यदि भारत की मज्जिदो की सघन जांच हो तो अचंभित करने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं। जिस प्रकार आजादी के बाद प्रथम बार आज दिल्ली में बैठी भारत सरकार ने हिम्मत दिखाकर इन कट्टरपंथियो के विरुद्ध एक मजबूत कार्यवाही करने की कोशिश की ।परन्तु हमेशा की भांति जमीयत उलेमा ऐ हिन्द ने अपनी पूरी इस्लामिक संगठन व वामपंथी ताकत लगाकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से भारत सरकार की कार्यवाही की गति धीमी कर दी । पालघर साधुओं की हत्या हो या सी ऐ ऐ के मजहबी दंगे , दिल्ली दंगे हो या कश्मीरी नरसंघार , जब बात हिन्दुओ के उत्पीड़न की होती है तब माननीय सर्वोच्च न्यायालय की सक्रियता उस गति से देखने को नही मिलती है । जितनी किसी आतंकवादी के लिये रात को भी कोर्ट बैठ जाती है एवम उपदृवियो पर कार्यवाही पर भी सर्वोच्च न्यायालय तुरंत संज्ञान लेकर कार्यवाही पर रोक लगा देती है । बिना अनुमति के मन्दिरो के सामने व हिन्दू बस्तियों में ताजियों का जुलूस निकाला जा सकता है परन्तु मज्जिद के सामने हनुमान जी की शोभा यात्रा निकालने पर क्यों उपद्रव किया जाता है । सारे मुस्लिम संगठन व सेक्युलर जनप्रतिनिधि संविधान की दुहाई देकर मुस्लिम हितों की बात तो करते है पर किस संविधान में लिखा है कि दूसरे धर्मों की शोभा यात्रा पर हमला जायज है । किस संविधान में लिखा है कि सड़कों को घेरकर नमाज पढ़ना जायज है । किस संविधान में लिखा है कि दिन में पांच समय तेज आवाज यह कहना जायज है कि अल्लाह से बड़ा कोई नही है, अल्लाह के अलावा ओर कोई पूजनीय नही है। अर्थात अल्पसंख्यक के नाम पर मुस्लिम समाज को कुछ भी करने का मौलिक अधिकार है । परन्तु भारत के हिन्दुओ को अपनी सुरक्षा करने का मानवाधिकार भी नही है । यह सब समाज के लिए विचारणीय प्रश्न हैं।

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