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धर्म

शिक्षाप्रद लघु कथा- चतुर चिड़िया !

।।श्रीगणेशाय नमः।।

एक दिन की बात है एक चिड़िया आकाश में अपनी उड़ान भर रही थी। रास्ते में उसे गरुड़ मिल जाता है। गरुड़ उस चिड़िया को खाने को दौड़ता है। चिड़िया उससे अपनी जान की भीख मांगती है। लेकिन गरुड़ उसपर दया करने को तैयार नहीं होता। तब चिड़िया उसे बताती है कि मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं और उनके लालन-पालन के लिए मेरा जीवित रहना जरूरी है। तब गरुड़ इसपर चिड़िया के सामने एक शर्त रखता है कि मेरे साथ दौड़ लगाओ और अगर तुमने मुझे हरा दिया तो मैं तुमको जीवित छोड़ दूँगा और तुम्हें यहाँ से जाने दूँगा।

गरुड़ इस बात को जानता था कि चिड़िया का उसे दौड़ में हराना असंभव है। इसलिए उसके सामने इतनी कठिन शर्त रख देता है। चिड़िया के पास इस दौड़ के लिए हां करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता। लेकिन चिड़िया को इस बात का अनुभव था कि गरुड़ को दौड़ में हराना मुश्किल है लेकिन फिर भी वह इस दौड़ के लिए हाँ कर देती है। पर वह गरुड़ से कहती है कि जब तक ये दौड़ समाप्त नहीं होती वह उसे नहीं मारेगा। गरुड़ इस बात पर राजी हो जाता है।

दौड़ शुरू होती है चिड़िया फट से जाकर गरुड़ के सिर पर बैठ जाती है और जैसे ही गरुड़ दौड़ के आखिरी स्थान पर पहुँचता है चिड़िया फट से उड़कर लाइन के पार पहुँच जाती ही और जीत जाती है। गरुड़ उसकी चतुरता से प्रसन्न हो जाता है और उसको जीवित छोड़ देता है। चिड़िया तुरंत ही वहाँ से उड़ जाती है और अपने रास्ते चल देती है।

शिक्षा:-
कठिन परिस्थितियों में हालातों पर रोना नहीं चाहिए बल्कि समझदारी और चतुरता के साथ मुसीबत का सामना करना चाहिए। विरोधी या कार्य आपकी क्षमता से ज्यादा मजबूत हो तो इसका मतलब यह नहीं कि आप पहले से ही हार मान कर बैठ जाएं बल्कि समझदारी और धैर्य से बैठ कर समस्या का समाधान ढूढ़ना चाहिए। अपने ऊपर विश्वास रखना चाहिए कि हम किसी भी हालत में जीत सकते हैं।

प्रस्तुति शिक्षिका सीमा शर्मा

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