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राष्ट्रीय

देवताओं के अपमान व सनातन दुर्दशा का कारण है हिन्दू समाज-दिव्य अग्रवाल

जागरण ,कीर्तन,भण्डारा ये सब हिन्दू समाज देवताओं के निमित कर ईश्वर के आसिष की कामना करता आया है पर उन देवताओं के अपमान पर यही हिन्दू समाज ईश्वर के ही आश्रित होकर मौन धारण कर लेता है । मुस्लिम समाज में त्रुटि निकालने वालो को आज उनसे कुछ सीखने की आवश्यकता है मुस्लिम समाज की आस्था जिस किसी भी अदृश्य कल्पना से प्रेरित है उसके निमित किसी अन्य धर्म के व्यक्ति द्वारा ऐसा कुछ भी कहने भी कहने पर जो मुस्लिम समाज को स्वीकार न हो भले ही चाहे वो बात सत्य हो या तो उसकी हत्या कर दी जाती है या उसे भयभीत कर दिया जाता है।

इसके विपरीत सत्य सनातन धर्म जिसका हजारों वर्ष पुराना प्रमाणित पौराणिक अस्तित्व है, उस धर्म के देवताओं की प्रतिमा खण्डित करना ,पूजा पंडालों में आग लगा देना ,शोभा यात्राओं को बाधित करना , भृमित करने वाली देवताओं की मिथ्या चलचरित्र प्रदर्शित करना , सनातन परम्परा पर अभद्र टिपणी करना व सार्वजनिक रूप से हिन्दू देवताओं का अपमान करना आसुरी प्रवर्ति के लोगो के लिये नित प्रतिदिन का सुलभ कार्य बन चुका है ।

जब जब आसुरी शक्तियां सशक्त हुई उनका मर्दन करके ही समाज मे सुव्यवस्था स्थापित हो सकी है जिसकी प्रमाणिकता अनेक धार्मिक ग्रन्थो द्वारा सिद्ध होती है । यदि यह सोचा जाए कि आसुरी शक्तियां का विकास करके मानवता का संरक्षण हो सकता है तो इसका अर्थ स्पष्ट है कि सनातन समाज प्रभु श्रीराम , श्रीकृष्ण , मां भवानी आदि इष्ट देवताओं की लीलाओं के ज्ञान को क्षीण करके अपने पतन के मार्ग पर चल पड़ा है। यदि किसी पारिवारिक व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर कोई बाहरी व्यक्ति आघात करता है तो सम्पूर्ण परिवार एक होकर प्रतिषोध के लिए प्रयासरत हो उठता है पर जब सनातन धर्म के पालक व पोषक की प्रतिष्ठा पर प्रहार किया जाता है तो सनातन समाज एकत्र होकर उसके विरुद्ध आवाज उठाने तक कि हिम्मत नही करता । इसी कारण सर तन से जुदा करने वाली आसुरी शक्ति को राष्ट्र की साशनिक व प्रसाशनिक व्यवस्था भी रोकने में कभी कभी असहाय व असमर्थ सी हो जाती है ।

सनातन समाज का यह भरम की उनका देवत्व या धर्म उन्हें आसुरी शक्तियों से बचा लेगा यह कल्पना मानवता के विनाश का कारण बनेगी इसमें कोई संदेह नही है । क्योंकि देवत्व को मानने वाले लोग न तो आज अपने देवताओं की साधना कर रहे हैं ना ही उनका अनुशरण । सनातन समाज आंकलन करे की ऐसे कितने परिवार हैं जिनमे रामायण , भगवदगीता , दुर्गासप्तशती , सुन्दरकाण्ड, यज्ञ आदि या किसी भी धार्मिक पुस्तक व मंत्र का जाप प्रतिदिन प्रातः व संध्या होता हो जबकि इसके विपरीत मुस्लिम समाज का कोई ऐसा घर खोजिए जिसमे प्रतिदिन पांच समय की उनकी इबादत न होती हो ।

अतः जब परिवारों में आधात्मिक ऊर्जा का सृजन ही नही होगा तो शौर्य , पुरुषार्थ , मानवता ,धर्म व संरक्षण की शक्ति कैसे प्राप्त होगी । मजहब के नाम पर हिन्दू लड़कियों के साथ दुरुचार किया जा रहा है , मजहब के नाम पर हत्यायें हो रही है , मजहब के नाम पर लोगो को सर तन से जुदा करने की धमकी मिल रही है यह सब मानवता की हत्या नही तो ओर क्या है । कुछ देवात्माओं द्वारा इस पृथ्वी पर जन्म लेकर मानवता संरक्षण का कार्य किया जा रहा है परन्तु वो लोग भी एकेले कब तक संघर्ष कर सकते हैं यह भी चिंताजनक विषय है। प्रभु श्री राम व श्री कृष्ण जी को भी मानवता बचाने हेतु आम जनमानस के शौर्य , बलिदान व पुरुसार्थ का साथ लेना पड़ा था ।

अतः अकेले मोदी जी, योगी जी महाराज , हिमन्त बिस्वा , शिवराज सिंह चौहान ,नरोत्तम मिश्रा , पुष्कर धामी या अन्य कुछ लोग सबकुछ नही कर सकते उसके लिए आम जनमानस को राजनीति से अलग अपने पूर्वजो का अनुशरण कर व पूजा ,साधना से आध्यत्मिक शक्ति को जाग्रत कर धर्म व स्वतः संरक्षण हेतु संघर्ष के मार्ग पर चलना ही होगा अन्यथा तो स्वम् ईश्वर के पूजा स्थलों को भी आसुरी शक्तियां समय समय पर खण्डित कर मानवता की हत्या करती आयी हैं।आज जो भी धर्मगुरु , महामंडलेश्वर , आचार्य देवत्व के नाम पर अहंकारी होकर भोग विलासिता में आरूढ़ होकर धर्म मार्ग से विमुख हो चुके हैं वे सभी किसी कलयुगी आसुरी शक्ति से कम नही जो अपने समाज की दुर्दशा होता देख भी संघर्ष करने हेतु प्रयत्नशील नही हैं।

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