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इस्लाम की अमानवीयता का प्रमाण है गुरु जी का बलिदान- दिव्य अग्रवाल

इस्लाम की मजहबी अमानवीयता का प्रमाण है गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान, आज भी सनातनियो या गैर इस्लामिको के सर तन से जुदा किए जा रहे हैं या धमकी दी जा रही हैं यह कोई नई बात नहीं अपितु लगभग ३४७ वर्ष पूर्व भी इस्लाम के अनुयायी औरंगजेब ने अपनी मजहबी मानसिकता का क्रूर परिचय देते हुए न सिर्फ गुरु तेगबहादुर जी का शीष तन से जुदा करवाया था अपितु उनके दो शिष्यों को भी उनके समक्ष जिन्दा जला दिया था । तत्पश्चात उनके दो पुत्रों का भी बलिदान इसी कट्टरपंथी मजहब ने करवाया था ।

उस समय धर्म व मानवता रक्षा हेतु बहुत से धर्मयोद्धा मृत्यु को गले लगाकर भी सदा सदा के लिए अमर हो गए और आज इस्लाम की क्रूरता को देखते हुए कायर की भांति मौन रहकर मृत्यु शैया पर लेटे होने के पश्चात भी सभ्य समाज जीवित होने का नाट्य प्रस्तुत करने की ओर प्रयासरत है । इससे ज्यादा लज्जित और क्या हो सकता है की भारतीय नागरिक गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान दिवस तक पर उस विषय की चर्चा नहीं करना चाहते जिसके कारण उनका बलिदान हुआ था ।

भय व लालच की प्रवृत्ति इतनी की बलिदान दिवस का राजनीतिकरण तो करना है पर यह भी ध्यान रखना है की कहीं कोई मुस्लिम पडोसी या मित्र नाराज न हो जाए मुस्लिम समाज आज भी औरंगजेब को अपना आदर्श मानते हैं व सभ्य समाज गुरु साहब के बलिदान के मर्म तक को समझना नहीं चाहते ।

दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक)

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