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धर्म

वसुधैव कुटुंबकम को लेकर डॉक्टर सुमित्रा अग्रवाल जी के जानते हैं विचार

वसुधैव कुटुंबकम किसी भी देश के लिए एक विचार के रुप में हो सकता है पर यह सिद्धांत भारत में एक दर्शन के रुप में है । वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत को आज के दौर में अत्यधिक प्रासंगिक है क्योंकि यह सभी मनुष्यों के बीच उनकी जाति, धर्म या राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना एकता और जुड़ाव के विचार पर जोर देता है।

जैसे हमारा शरीर और विश्व शरीर पाँच तत्वों से बना है और संचालित है ठीक उसी प्रकार मैं वसुधैव कुटुंबकम को भी पाँच अंगो में देखती हुॅं।

१। वसुधैव कुटुंबकम यह पहचान करता है की सभी लोग एक वैश्विक परिवार का हिस्सा हैं। यह सहानुभूति और करुणा की भावना को प्रोत्साहित करता है, जिससे लोगो के बिच, देशो के बीच शांति और सहयोग का स्तर बढ़ाया जा सकता है।

२। वसुधैव कुटुंबकम का सिद्धांत विविधता को अपनाकर आपसी सम्मान और समझ को बढ़ावा देता है, जो संघर्षों को कम करने और सद्भाव को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

३। यह मानते हुए कि एक व्यक्ति का कार्य पूरे विश्व को प्रभावित कर सकता हैं। वसुधैव कुटुंबकम का सिद्धांत वैश्विक जिम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहित करता है और व्यक्तियों को ऐसे कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है जो न केवल स्वयं को बल्कि दूसरों को भी लाभान्वित करते हैं।

४। इस विचार को बढ़ावा देकर कि सभी लोग आपस में जुड़े हुए हैं और एक व्यक्ति की भलाई दूसरों की भलाई से जुड़ी हुई है, वसुधैव कुटुंबकम का सिद्धांत स्थिरता का समर्थन करता है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए विश्व की सुरक्षा को प्रोत्साहित करता है।

५। वसुधैव कुटुंबकम का सिद्धांत एकता, सम्मान और जिम्मेदारी को बढ़ावा देता है और इसमें शांति, समझ और स्थिरता को बढ़ावा देकर दुनिया पर सकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता है।

जब हम स्वयं के लाभ हानि के विचार से उठकर विश्व रूप में इसकी कल्पना करेंगे और यजुर्वेद में दिए महावाक्य को याद करेंगे की अहं ब्रह्मास्मि – “मैं ब्रह्म हूँ” तो ये समझ पाएंगे की वसुधैव कुटुंबकम का सिद्धांत बेहतर भविष्य का खाका पेश करता है। एकता, सहयोग और आपसी सम्मान को बढ़ावा देकर हम संघर्षों को दूर करने और सुलझाने तथा असमानताओं को कम करने की दिशा में काम कर सकते हैं।

दिव्यदर्शी सिद्धांत है वसुधैव कुटुंबकम् क्यों की ये वो भावना है जो एक ऐसी दुनिया का निर्माण करेगी जो अधिक शांतिपूर्ण, सामंजस्यपूर्ण और समावेशी होगी। वसुधैव कुटुंबकम का भाव हम सभी को इस तथ्य की याद दिलाता है कि एक बेहतर दुनिया के निर्माण में प्रत्येक व्यक्ति की अहम भूमिका है। हर व्यक्ति न केवल इस ब्रह्मांड का हिस्सा है परन्तु खुद भी एक ब्रह्मांड है। जैसे अनगिनत जीव जंतु इस ब्रह्मांड में है ठीक उसी प्रकार हमारे शरीर के अन्दर भी अनगिनत जीव जंतु है , हम उस विश्व शरीर का हिस्सा भी है और हमारे भीतर भी एक विश्व है। हमे एक जुट होकर और सुचारु रूप से विश्व को चलने में सक्षम होना है और इसी के लिए हमे वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत को अपने अंदर जगाना होगा।

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