धर्म
अस्ताचलगामी सूर्य देव को किया गया पहला अर्घ्य अर्पित
श्रद्धालुओं कि भिड़ उमड़ परी दुर्गा विस्तार कॉलोनी में
जयपुर : भगवान सूर्य का चार दिवसीय डाला छठ महापर्व का आज किशन बाग में पहला अर्घ्य अर्पित किया गया जिसमें महिला एवं पुरुष ने खड़े होकर पश्चिम की तरफ मुंह करके कमर भर पानी में भगवान सूर्य देव को आराधना और अस्ताचलगामी सूर्य देव को पहला अर्घ्य घार्पित किया आतिशबाजी एवं संस्कृति कार्यक्रम का आयोजन किया गया एनबीसी के पीछे दुर्गा विस्तार कॉलोनी में भव्य रूप से डाला छठ महापर्व आयोजित किया गया । जिसमें कई प्रकार की झांकियां एवं संस्कृति कार्यक्रम पूरी रात्रि हुआ । बिहार समाज संगठन के महासचिव सुरेश पंडित ने बताया कि सोनू एंड पार्टी सोनू पंजाबी के द्वारा कार्यक्रम किया गया । जिसमें समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे और उनका मान सम्मान किया गया । रात्रि में कोसी भरने का परंपरा है जिसमें मिट्टी के हाथी कलश उस पर ढक्कन रखे पंचमुखी दीपक जलाकर पांच गाने को एक साथ बांध के खड़े की जाती है और महिलाएं छठ माता का गुणगान करती हैं
कोसी भराई की ये है परंपरा शास्त्रों के मुताबिक, शाम के समय सूर्य को अर्घ्य देकर लोग अपने-अपने घर में या छत पर कोसी भरने की परंपरा निभाते हैं. इसके लिए सबसे पहले मिट्टी के हाथी को सिंदूर लगाया जाता है. कुछ लोग 12 दीपक जलाते हैं या फिर 24 दीपक भी जलाते हैं. फिर कलश में मौसमी फल और ठेकुआ, सुथनी और अदरक आदि के साथ सारी सामग्री रखी जाती है. इसके बाद कोसी पर दीपक जलाया जाता है. इसके बाद कोसी में दीपक जलाया जाता है. । इसके बाद कोसी के चारों तरफ सूर्य को अर्घ्य देने वाली सामग्री से भरी सूप, डलिया और मिट्टी के ढक्कन में तांबे के पात्र को रखकर फिर दीपक जलाते हैं. इसके बाद छठी मइया की पूजा की जाती है. संजीव मिश्रा ने कहा कि इसके बाद इसी विधि के साथ अगले दिन की सुबह को कोसी भरी जाती है जो घाट पर होती है मैथिली भोजपुरी वं वंचिका एवं मगही भाषा में लोकगीतों गाया गया। इसमें ठेकुआ केला संतरा गागर नींबू नाशपाती मूली अदरक कच्ची हल्दी पान फूल नारियल अक्षत सिंदूर आदि रख कर अर्ध्य अर्पित किया।
उगहे सूरज देव अरघ के बेर। मारवो रे सुगवा धनुषा से ।
जयपुर से सुरेश पंडित