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साहित्य उपवन

प्रभावशाली व्यक्तियों का धार्मिक आचरण समाज के लिए प्रेरणादायक होता है – दिव्य अग्रवाल

सनातन धर्म के पर्व एवं त्योहारों का उत्सव धीमे धीमे संकुचित और सिमित होता जा रहा है। त्योहारों को सामाजिक रूप से मानाने की प्रथा लगभग पिछले तीन दशकों से निरंतर कम हो रही है। अभी मकर सक्रांति का पर्व मनाया गया परन्तु व्यक्तिगत रूप से एक दूसरे से मिलकर शुभकामनाएं देना , सहभोज करना एवं चौपाल में बैठकर नवीन पीढ़ी को इस पर्व का महत्त्व बताने का प्रयास आपने बहुत ही कम जगह देखा होगा । परन्तु भदरी राज परिवार के राजा रघुराज प्रताप सिंह (राजा भइया ) सामाजिक परम्परा के दायित्व का निर्वहन करते हुए मकर सक्रांति के पर्व को सभी लोगो के साथ मिलकर मनाते हैं खिचड़ी सहभोज का आयोजन करवाना , सबके साथ बैठकर प्रसाद रूप में खिचड़ी को ग्रहण करना , समाज को सनातनी पर्वो के प्रति प्रेरित करना , निश्चित ही समाज की युवा पीढ़ी की धार्मिक त्योहारों के प्रति व्यक्तिगत रुचि में वृद्धि और सामाजिक मजबूती को बढ़ावा देने में सहायक होगा । राज परिवार से सम्बन्ध और राजनितिक क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखने वाले ऐसे लोग अपने आचरण से जब इस प्रकार का सन्देश समाज को देते हैं तो उसके परिणाम भी दूरगामी और सकारात्मक होते हैं। समाज के प्रभावशाली और प्रभुत्व वर्ग का यह दायित्व है कि सनातनी परम्पराओं एवं त्योहारों का आयोजन सार्वजनिक रूप से किया जाए जिससे सनातन समाज के सभी वर्गो को समानता का अनुभव हो और कोई भी असामाजिक तत्व सनातनी समाज को भ्रमित करने में या सनातन को कमजोर करने में सफल न हो।

 

दिव्य अग्रवाल(लेखक व विचारक)

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