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उत्तर प्रदेशजानकारी

CM योगी का कॉलेज, जहां घंटी बजते ही टॉयलेट साफ करने लगते हैं टीचर

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर में एक कॉलेज ऐसा है, जहां घंटी बजते ही टीचर और स्टूडेंट्स लग जाते हैं टॉयलेट की सफाई में. यह कॉलेज गोरखनाथ मंदिर से 12 किलोमीटर दूर पिपराइच रोड पर जंगल धूसड़ इलाके में है. इसका नाम है महाराणा प्रताप डिग्री कॉलेज

महाराणा प्रताप डिग्री कॉलेज में तीसरा पीरियड खत्म होने के बाद इंटरवल की घंटी बजती है. लेकिन हर शनिवार को यह घंटी सिर्फ इसलिए बजती है कि कॉलेज के टीचर और स्टूडेंट्स  झाड़ू, पाइप, बाल्टी, फावड़ा उठा लें. कुछ ही पल में एक-एक टीचर के नेतृत्व में दस-दस स्टूडेंट्स की टोली कॉलेज के टॉयलेट पर कब्जा जमा लेती है. यह सभी बाहर तभी आते हैं जब टॉयलेट चमचमाने लगता है

हैरत करने वाली बात यह है कि गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध ‘महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद’ से संचालित महाराणा प्रताप डिग्री कॉलेज यूपी का इकलौता कॉलेज है, जहां एक भी सफाई कर्मचारी नहीं है बावजूद इसके कॉलेज ने स्वच्छता के क्षेत्र में मिसाल स्थापित की है.

‘केंद्रीय नगरीय विकास मंत्रालय’ की तरफ से वर्ष 2018-17 में देश भर की कुल 6000 संस्थाओं का ‘इंस्टीट्यूशनल स्वच्छता रैंकिंग’ के लिए सर्वे कर 300 संस्थाओं को स्वच्छता के मापदंड पर खरा घोषित किया गया था, उनमें ये एक ‘महाराणा प्रताप डिग्री कॉलेज भी था.

इस कॉलेज को 176वीं रैंक मिली थी. हाल में ही सत्र 2019-20 के लिए देश की कुल 69 संस्थाओं की स्वच्छता रैंकिंग जारी हुई. इसमें सबसे लंबी छलांग लगाते हुए महाराणा प्रताप डिग्री कॉलेज ने 39वीं रैंक हासिल की है. इस सूची में यूपी के केवल 2 कॉलेज ही जगह बना पाए हैं. ‘महाराणा प्रताप स्नातकोत्तर कॉलेज’ स्वच्छता रैंकिंग में जगह बनाने वाला पूर्वी यूपी का इकलौता कॉलेज है.

महंत दिग्विजय नाथ ने साल 1932 में गोरखपुर प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा की संस्थाओं को संचालित करने के लिए ‘महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद’ की स्थापना की थी.

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2003 में गोरखपुर में पिपराइच रोड पर मौजूद जंगल धूसड़ गांव में वर्ष 2005 में महाराणा प्रताप डिग्री कॉलेज की स्थापना की थी

योगी आदित्यनाथ ने अखिल भारतीय विद्यालय परिषद में अपने सहयोगी रहे डॉ. प्रदीप कुमार राव को कॉलेज का प्रिसिंपल बनाया था. कॉलेज की स्थापना के समय डॉ. राव गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास विभाग में सहायक प्रोफेसर थे

10 एकड़ में फैले इस कॉलेज में इस वक्त 2500 से अधिक स्टूडेंट पढ़ते हैं. डॉ. प्रदीप कुमार राव बताते हैं कि कॉलेज की स्थापना से ही यहां न तो सफाई कर्मी की भर्ती का विज्ञापन प्रकाशित किया गया है और न ही इनका चयन किया गया है. कॉलेज में चपरासी, फाइल कीपर जैसे जो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं, उनका क्षेत्र बंटा हुआ है. जिसके क्षेत्र में जो टॉयलेट आता है वह उसे साफ करता है.

डॉ. अरविंद कुमार राव बताते हैं कि ऐसा करके हम संदेश देते हैं कि किसी भी सफाई कर्मी को यह न लगे कि वह कोई गलत काम करता है. पूरे समाज में टॉयलेट की सफाई का काम एक खास जाति या वर्ग विशेष को सौंपा गया है. हम समाज की इस परंपरा को तोड़ना चाहते हैं. शिक्षकों के बीच टॉयलेट सफाई की शुरुआत मैं खुद से करता हूं

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