धर्मसाहित्य उपवन
Global News 24×7 Present-महाराजा अग्रसेन जयंती Special- Day 4
“महाराजा अग्रसेन जयंती” अश्विन शुक्ल प्रतिपदा के दिन धूम धाम से महाराजा अग्रसेन की याद में मनाई जाती है। नवरात्रि के पहले दिन अग्रसेन जयंती के रूप में मनाया जाता है। सम्पूर्ण वैश्य समुदाय इनको बड़े हर्ष उल्लास से मनाता है।
समाजवाद के अग्रदूत
महाराजा अग्रसेन समाजवाद में विश्वास रखते थे। वो चाहते थे की उनकी प्रजा में अमीर गरीब की खाई न हो। सभी एक समान हो। इसलिए लिए उन्होंने ‘एक ईट और एक रुपया’ का सिद्धांत दिया। इसके अनुसार नगर में आने वाले बाहरी परिवार को नगर के हर एक परिवार से एक ईंट और एक रुपया दिया जाये।
ईंट से वो घर बना लेंगे और रुपया से व्यापार करेंगे। सभी लोग ख़ुशी समृद्धि से रहेंगे। इस तरह से महाराजा अग्रसेन को “समाजवाद का प्रणेता” भी कहा जाता है। इनके शासनकाल में “अग्रोद्य गणराज्य” ने बहुत तरक्की की। इनके राज्य में लाखो व्यापारी रहते थे जो खुशहाली से अपना व्यापार करते थे।
ईंट से वो घर बना लेंगे और रुपया से व्यापार करेंगे। सभी लोग ख़ुशी समृद्धि से रहेंगे। इस तरह से महाराजा अग्रसेन को “समाजवाद का प्रणेता” भी कहा जाता है। इनके शासनकाल में “अग्रोद्य गणराज्य” ने बहुत तरक्की की। इनके राज्य में लाखो व्यापारी रहते थे जो खुशहाली से अपना व्यापार करते थे।
महाराजा अग्रसेन पर पुस्तके
प्रसिद्द लेखक भारतेंदु हरिश्चंद्र ने 1871 में “अग्रवालो की उत्पत्ति” नामक पुस्तक लिखी है जो बहुत ही प्रमाणिक जानकारी देती है।
महाराजा अग्रसेन पर डाक टिकट
भारत सरकार ने 24 सितंबर 1976 में महाराजा अग्रसेन के नाम पर 25 पैसे का डाक टिकट जारी कर उनका सम्मान किया था। सन 2012 में भारतीय डाक ने “अग्रसेन की बावली” पर डाक टिकट जारी किया।
महाराजा अग्रसेन के नाम पर हुआ युद्धपोत का नामकरण
सन 1995 में भारत सरकार ने दक्षिण कोरिया से 350 करोड़ में एक युद्धपोत ख़रीदा जिसका नाम “महाराजा अग्रसेन” रखा गया।
महाराजा अग्रसेन द्वारा समाज को दिया गया संदेश
- हिंसा मत करो, अहिंसा को अपनाओ
- जीव हत्या पाप है। जीव हत्या, बलि प्रथा समाप्त करो
- समाजवादी बनो, न कोई अमीर हो न कोई गरीब, सभी एक समान हो
- प्रजा से प्यार करो
- लोकतंत्र की स्थापना करो
- नैतिक मूल्यों का विकास करो
- व्यापार और उद्योग करो जिससे सभी का पालन पोषण हो
- गौपालन करो
श्री अग्रसेन महाराज आरती
जय श्री अग्र हरे, स्वामी जय श्री अग्र हरे।
कोटि कोटि नत मस्तक, सादर नमन करें।। जय श्री।
आश्विन शुक्ल एकं, नृप वल्लभ जय।
अग्र वंश संस्थापक, नागवंश ब्याहे।। जय श्री।
केसरिया थ्वज फहरे, छात्र चवंर धारे।
झांझ, नफीरी नौबत बाजत तब द्वारे।। जय श्री।
अग्रोहा राजधानी, इंद्र शरण आये!
गोत्र अट्ठारह अनुपम, चारण गुंड गाये।। जय श्री।
सत्य, अहिंसा पालक, न्याय, नीति, समता!
ईंट, रूपए की रीति, प्रकट करे ममता।। जय श्री।
ब्रहम्मा, विष्णु, शंकर, वर सिंहनी दीन्हा।।
कुल देवी महामाया, वैश्य करम कीन्हा।। जय श्री।
अग्रसेन जी की आरती, जो कोई नर गाये!
कहत त्रिलोक विनय से सुख संम्पति पाए।। जय श्री!
महाराजा अग्रसेन जी की और अधिक जानकारी के लिए जुड़े रहे हमसे, हम कल फिर लौटेंगे भाग 5 के साथ