राष्ट्रीयसाहित्य उपवन
शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे जी की पुण्य आत्मा से देवलोक भी धन्य होगा -दिव्य अग्रवाल
शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे जी की पुण्य आत्मा से देवलोक भी धन्य होगा -दिव्य अग्रवाल
सनातन धर्म के सर्वश्रेस्ठ योद्धा अमर बलिदानी महाराजा छत्रपति शिवाजी महाराज जी को अपनी लेखनी के माध्यम से आज भी जीवित रखने वाले बाबा साहब पुरंदरे जी स्वम 99 वर्ष की आयु में अमरत्त्व को प्राप्त हो गए । पुरंदरे जी ने अपने साहित्य , नाटक , लेखन के माध्यम से शिवाजी महाराज की गौरवगाथा को घर घर तक पहुँचाया । ईश्वर के अवतार हो या महामानव उनको भविष्य में जीवित रखने का पुण्य कार्य एक महान इतिहासकार ही कर सकता है ।
पुरंदरे जी ने इसी दायित्व का निर्वहन करते हुए छत्रपति शिवाजी महाराज पर 12 हजार से ज्यादा व्याख्यान किए । शिवाजी पर रचित महानाट्य “जानता राजा”की रचना की ,उन्होंने अपना पूरा जीवन शिवाजी महाराज को ही समर्पित कर दिया था । पुरंदरे जी के बारे में यह भी कहा जा सकता है कि सनातन धर्म के सर्वश्रेष्ठ संरक्षक शिवाजी महाराज की गाथा व धर्म प्रचार के निमित ही ईश्वर ने उन्हें इस धरती पर भेजा था । इसी कारण उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मविभूषण व राज्य सरकार द्वारा महाराष्ट्र विभूषण से भी सम्मानित किया गया था । शिवाजी महाराज के प्रति सम्मान इतना कि जब भी स्वरचित नाट्य में शिवाजी के रूप में जो किरदार मंच पर आता था पुरंदरे जी तुरन्त खड़े होकर अभिवादन करते थे। उनके इस समर्पण को देखकर तो ये लगता है कि *देवलोक में भी देवी देवता पुरंदरे जी से छत्रपति शिवाजी महाराज की गाथा सुनकर धन्य हो जाएंगे* निश्चित ही जिस तरह महर्षि वशिष्ठ , महर्षि वाल्मीकि जी , तुलसीदास जी को सनातन प्रेमी पूजते हैं । ठीक उसी प्रकार बाबा साहब पुरंदरे जी को भी धर्मप्रेमियों को पूजना व ध्याना चाहिए । बाबा साहेब पुरंदरे जी जैसे महान लेखक , साहित्यकार , इतिहासकार , रचयिता की आज पुनः सनातन धर्म को नितान्त आवश्यकता है । सनातन प्रहरियों को ये विश्वास है आप पुनः इस धरती पर जन्म लेकर धर्म की सेवा करेंगे । आपको बारंबार नमस्कार है।