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उत्तर प्रदेश

क्या अब रैलियों पर लग जाएगी रोक? चुनाव आयोग के बाद अमित शाह ने कुछ यूं किया इशारा

क्या अब रैलियों पर लग जाएगी रोक? चुनाव आयोग के बाद अमित शाह ने कुछ यूं किया इशारा

चुनाव आयोग ने गुरुवार को लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। आयोग ने बताया कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने आयोग से कहा कि चुनाव समय से होने चाहिए। हालांकि कुछ राजनीतिक दलों ने कोरोना के खतरे के बीच चुनावी रैलियों को लेकर चिंता भी जताई। इस बीच गृहमंत्री अमित शाह का भी एक बयान चर्चा में है। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही चुनावी रैलियों पर रोक लग सकती है।

शाह गुरुवार को अलीगढ़ में चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सपा और बसपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘विकास तो बबुआ के बस की बात नहीं है और बुआ जी तो अभी तक ठंड के कारण बाहर ही नहीं निकल पाईं हैं। अरे… बहनजी चुनाव के मैदान में आ जाइए बाद में मत कहना प्रचार नहीं करने दिया। ये बुआ, बबुआ और बहन तीनों मिलकर एकसाथ भी आ जाएं तो भी बीजेपी कार्यकर्ताओं से नहीं जीत सकते हैं।’

शाह के बयान का क्या मतलब है?

राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार रमाशंकर श्रीवास्तव कहते हैं, ‘शाह ने अपने बयान के आखिर में बहनजी यानी मायावती को संबोधित करते हुए कहा है कि चुनाव के मैदान में आ जाइए बाद में मत कहना प्रचार नहीं करने दिया। यह एक प्रकार से इशारा हो सकता है कि आने वाले दिनों में रैलियों को लेकर कोई बड़ा फैसला हो सकता है।

भाजपा की सबसे ज्यादा रैलियां हो रहीं

इस वक्त सबसे ज्यादा रैलियां भारतीय जनता पार्टी की हो रहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों डिप्टी सीएम समेत कई केंद्रीय मंत्री चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी चुनावी यात्रा पर हैं। यह तब है जब चुनाव आयोग ने चुनाव की तिथियों का एलान नहीं किया है। ऐसे में साफ है कि रैलियों पर किसी भी तरह का प्रतिबंध लगे, उससे पहले भाजपा ज्यादा से ज्यादा रैलियां  कर लेना चाहती है।

भाजपा के बाद समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेता भी चुनाव को लेकर काफी सतर्क हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव खुद हर रोज चुनावी सभा कर रहे हैं। इसके अलावा सपा के अन्य बड़े नेताओं की रैलियां भी लगातार जारी हैं। इसी तरह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी लड़की हूं लड़ सकती हूं अभियान के तहत रैलियां और मैराथन करवा रहीं हैं। प्रियंका भी लगातार सभाओं को संबोधित कर रहीं हैं।

मायावती अभी कर रहीं समीक्षा

भाजपा, सपा, कांग्रेस के इतर बसपा अभी चुनाव प्रचार मैदान में नहीं उतरी है। करीब तीन महीने पहले जरूर ब्राह्मण सम्मेलन के जरिए बसपा ने चुनावी समां बांधने की कोशिश की थी, लेकिन फिर अचानक सबकुछ ठंडे बस्ते में चला गया।

हालांकि 23 दिसंबर को बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रेस नोट जारी कर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की थी। मायावती ने कहा था कि वक्त आने पर सब पता चल जाएगा। उन्होंने विपक्ष पर पलटवार भी किया। कहा, ‘जो लोग रैलियां कर रहे हैं, इधर-उधर घूम रहे हैं उनमें बेचैनी है। वह डर रहे हैं कि पता नहीं कि वह फिर से पावर में आएं या नहीं।’

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