Bulandshahrविधानसभा चुनाव 2022
मतदान से पहले ही भाजपा को तोहफे में भैंट कर दी नेता जी ने अनूपशहर विधानसभा सीट
प्रदेश में कठिन सीट मानी जा रही अनूपशहर विधानसभा सीट पर भाजपा की राह आसान कर बैठे खुद ही मुख्यमंत्री के दावे दार
औरंगाबाद:- कहावत है कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता. और कब किस वादे का क्या भविष्य होगा यह भी पूरी तरह अनिश्चित ही होता है. जरूरत, खुदगर्जी और अपनी व्यक्तिगत लालसा और महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए हर समझौते, हर वादे को कभी भी तोड़ दिया जाता है यह भी हमारे राजनीतिज्ञों की फितरत में शुमार है.
इसी परिपेक्ष में यदि अनूपशहर विधानसभा सीट पर आगामी चुनाव की संभावनाओं को टटोला जाये तो साफ नजर आता है कि पिछले वादे पिछले समझौते अब सिरे से साफ हो चुके हैं. हाथी से उतरकर नल पर जाकर अपनी प्यास बुझाने आये चौधरी साहब को यदि नल वालों ने मैदान में उतारा होता तो शायद इस सीट का परिणाम भाजपा को चौंकाने वाला होता,
लेकिन नल के बड़े चौधरी का असर भी अब नेता जी की नज़र में उतना नहीं है जितना शुरू शुरू में था. आने वाले आते गए कारवां बढता गया और पुराने अपनी अहमियत नये नये लोगों के सामने खोते रहे.
कहाँ 32 से 36 का आंकड़ा कहाँ 29 पर समझौता. उस पर भी दस पर नाम तुम्हारा आदमी हमारा.
बात यदि सिर्फ अनूपशहर विधानसभा सीट की ही करी जाये तो प्रदेश भर में छोटी काशी के नाम से विख्यात इस विधानसभा सीट के लोगों का मानना है कि यदि इस सीट से रालोद का दमदार प्रत्याशी मैदान में उतरता तो कमल की राह आसान नहीं होती लेकिन यहाँ तो खुद नेता जी ने तोहफे में भैंट कर दी. अंजान अरसे से निष्क्रिय उम्मीदवार के सहारे चुनाव जीतने की कल्पना कोरी मृगतृष्णा सरीखी है.
चुनाव में यों तो हार जीत की हर-संभावना का सही सही उत्तर तो मतगणना के साथ ही ठीक ठाक मिलेगा लेकिन राजनीति के विश्लेषक यह कहने में संकोच नहीं कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री के दावेदार नेता जी ने इस सीट पर खुद ही वाक ओवर दे दिया.
औरंगाबाद से राजेन्द्र अग्रवाल