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एक रूपया व एक ईट

एक रूपया व एक ईट:- अग्र -वैश्य समाज की गौरव गाथा , भाग 4

वास्तव में इतिहास उन चंद महापुरुषों एवं वीरों की गाथा है ,जिनमें अदम्य साहस, संयम ,शौर्य और पराक्रम कूट- कूट कर भरा हुआ था | तुम्हारे अंदर भी ये सारी शक्तियाँ बीज के रूप में पड़ी हुई हैं | अपनी इन शक्तियों को तुम जितने अंश में विकसित करोगे उतने ही तुम महान बन जाओगे| अतः उठो और जागो.महानता तुम्हारे चरण चूमने को तैयार बैठी है. तुम्हारे अंदर ईश्वर की असीम सामर्थ्य छुपी हुई है .जिन व्यक्तियों ने अपनी सुषुप्त योग्यताओं को जगाया, वे महान बन गए और इतिहास के पन्नों में उनका नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया है. वे संसार में अपनी अमिट छाप छोड़ गए हैं .वे मरकर भी अमर हो गए हैं.

  • भारत माता के आदि पुत्र ,इतिहास पुरुष विख्यात पणि |
  • जय अग्रसेन ,जय अग्रोहा, जय भारत मां के मुकुट मणि ||
  • हे! वीर -पुत्र ,भूमि -रक्षक ,भारत माता के सुभट लाल |
  • जय चंद्रगुप्त, जय समुद्रगुप्त ,जय गुप्तकाल ,जय स्वर्णकाल ||

प्रतापी राजाओं,महाराजाओं और सम्राटों से आच्छादित, तेजोमयी प्रकाश पुंज की किरणों की माला से मण्डित सूर्यवंश, जो कि सैंकड़ों मणियों से सुसज्जित, शोभित और आलोकित रहा है,

जिसका तेज समस्त भवनों में व्याप्त होकर आकाश में चमचमाया , जिसका यशोगान समस्त देवताओं, दैत्यों, मुनियों, किन्नरों, यक्षों, विद्वानों और सिद्ध पुरुषों द्वारा एक स्वर से किया गया | भारतीय संस्कृति आज भी जिनके सद्कर्मों और आदर्शों से पुष्पित – पल्लवित हैं| उन्हीं महापुरुषों में मनु, इक्ष्वाकु, पृथु, मांधाता ,सत्यवादी हरिश्चंद्र, रोहिताश्व, सागर , दिलीप ,गंगा अवतारक, भागीरथ ,रघु, अज , दशरथ, भगवान श्री राम , लव कुश आदि महान नृपों ने सूर्य वंश में जन्म लिया | इसी सूर्यवंश का गहन संबंध वैश्य जाति से है| महाराजा अग्रसेन इसी सूर्यवंश में पैदा हुए | वैश्य जाति के गौरव ‘गुप्त काल’ के नरेश इसी सूर्यवंश की संतान हैं. रौनियार वैश्य ,धुसर वैश्य एवं रस्तौगी वैश्य सब सूर्यवंशी शाखाएं हैं.

इसका विस्तृत वर्णन अगले अध्यायों में किया गया है. अतः अपने पूर्वजों का ज्ञान होना हमारे लिए अत्यावश्यक है, ताकि अतीत से प्रेरणा लेकर वर्तमान को भी महान और तेजोमयी बनाया जा सकें |

गर्व से कहो कि हम वैश्य हैं

हमें गर्व है कि हम वैश्य हैं, क्योंकि वैश्य जाति प्रेममयी, भक्तिमयी, श्रद्धामयी, विश्वासमयी एवं करूणामयी जाति है तथा इसके अंतर्मन में मानवता के प्रति अगाध श्रद्धा, भक्ति ,प्रेम तथा विश्वास का निर्मल झरना प्रभावित होता रहता है|

वास्तव में वैश्य जाति के लोग अमेरिका और ब्रिटेन से भी ज्यादा तकनीकी, निष्णात,जापान से भी ज्यादा राष्ट्रीभक्त , चीन से भी ज्यादा चतुर और जर्मनी से भी ज्यादा श्रेष्ठ हैं .ऐसी महान वैसे जाति की कुछ प्रमुख विशेषताओं का वर्णन अगले अध्याय में करेंगे.

 

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