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राष्ट्रीय

हिजाब की पैरवी करने वाले वकील पर सवाल उठे तो बचाव में आया रामकृष्ण आश्रम

बेंगलुरू. कर्नाटक के उडुपी से शुरू हुआ हिजाब विवाद  थमने का नाम नहीं ले रहा है. रोज नए नए किरदार सामने आ रहे हैं. अब इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से दलील देने वाले वकील देवदत्त कामत  पर सवाल उठाए जा रहे हैं. पहले उनके कांग्रेस से संबंधों को लेकर हमले किए गए. अब बेंगलुरू का रामकृष्ण आश्रम उनके समर्थन में सामने आया है. आश्रम के मुख्य पुजारी ने एक बयान में कहा है कि सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत ने हिजाब की वकालत कर रही मुस्लिम लड़कियों का पक्ष अदालत में रखकर हिंदू धर्म के खिलाफ कुछ गलत काम नहीं किया है.

स्वामी भावेशानंद ने बयान में कहा कि स्कूलों-कॉलेजों में मुस्लिम लड़कियों के ड्रेस कोड को लेकर एक अनावश्यक चर्चा चल रही है. मैं इस संबंध में समाज के विभिन्न स्तरों पर हो रहे उग्र विवाद को देखकर दुखी हूं. समाज में शांति और सद्भाव के लिए निश्चित तौर पर ये ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि मुझे यह देखकर दुख हो रहा है कि वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत का नाम इस विवाद में सिर्फ इसलिए घसीटा जा रहा है क्योंकि उन्होंने अदालत में एक पक्ष की बात रखी थी. कुछ तत्व उनकी ऐसी छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे वो हिंदू धर्म के खिलाफ काम कर रहे हैं. यह बिल्कुल अनुचित और निराधार है. अदालत में मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील को अपने पेशेवर कर्तव्य का पालन करना होता है. इसे हिंदू धर्म के खिलाफ नहीं बताया जा सकता. उन्होंने देवदत्त को श्रीरामकृष्ण विवेकानंद का अनुयायी बताते हुए उनके विरोध को अन्यायपूर्ण और कुछ बेईमान तत्वों द्वारा किया जा रहा सुनियोजित निराधार प्रचार करार दिया.

बता दें कि एडवोकेट देवदत्त कामत ने गुरुवार को कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता लड़कियों का पक्ष रखा था, जिन्हें उडुपी के कॉलेज में हिजाब पहनने से रोक दिया गया था. कामत ने दलील देते हुए कहा था कि हिजाब पहनना मुस्लिम संस्कृति का जरूरी हिस्सा है. कॉलेज प्रशासन ने उनके संवैधानिक अधिकार के खिलाफ जाकर काम किया है. कुरान की कुछ आयतों का जिक्र करते हुए बताया था कि मुस्लिम महिलाओं के लिए परिवार के करीबी सदस्यों के अलावा अन्य लोगों के सामने अपना सिर ढकना जरूरी है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी विशेष अनुमति याचिका दायर की थी.

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