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जानकारी

आम की बगिया का रखे ध्यान- प्रो.रवि प्रकाश

बलिया- आम के फूलों के अच्छी प्रकार से खिल जाने के बाद से लेकर फल मटर के दाने के बराबर होने तक की अवस्था के मध्य किसी भी प्रकार का कोई भी कृषि रसायन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

एक शाम राधा रानी व बाबा मोहन राम के नाम जागरण का सीधा प्रसारण केवल ग्लोबल न्यूज़ 24×7 पर

अन्यथा फूलों के कोमल हिस्से घावग्रस्त हो जाते हैं जिससे फल बनने की प्रक्रिया बुरी तरह से प्रभावित होती है। प्रसार्ड ट्रस्ट मल्हनी देवरिया के निदेशक प्रो. रवि प्रकाश मौर्य सेवानिवृत्त बरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि फल मटर के दाने के बराबर हो जाने के बाद आवश्यकता पड़ने पर भुनगा कीट के प्रबंधन हेतु इमिडाक्लोरप्रीड 17.8 एस.एल. 1मि.ली. प्रति दो लीटर पानी में तथा चूर्णिल आसिता बीमारी के

प्रबंधन हेतु हैक्साकोनाजोल 1 मिली/ लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जा सकता है।नेप्थलीन एसिटिक एसिड (प्लेनोफिक्स) 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के गिरने में कमी आती है। इस अवस्था में हल्की सिंचाई शुरू कर देनी चाहिए जिससे बाग की मिट्टी में नमी बनी रहे लेकिन इस बात का ध्यान देना चाहिए कि पेड़ के आस पास जलजमाव न हो।यदि आम का पेड़ 10 वर्ष या 10 वर्ष से ज्यादा उम्र का है, तो उसमे 500-550 ग्राम डाइअमोनियम फॉस्फेट ,850 ग्राम यूरिया ,750 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश ,25 किग्रा खूब अच्छी तरह से सड़ी गोबर की खाद पौधे के चारों तरफ मुख्य तने से 2 मीटर दूर रिंग बना कर खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए ।गुठली बनने की अवस्था में भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान , बैगलोर द्वारा विकसित मैंगों स्पेशल या सूक्ष्मपोषक तत्व जिसमें घुलनशील बोरान (19.4%) की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के झड़ने में कमी आती है एवं फल गुणवत्ता युक्त होते है. बोरान के प्रयोग से आम के फल फटने की समस्या एवं कोयलिया रोग से राहत मिलती है। बाग में हल्की-हल्की सिंचाई करके मिट्टी को हमेशा नम बनाये रखना चाहिए ,इससे फल की बढ़वार अच्छी होती है। बाग को साफ सुथरा रखना चाहिए। फल मक्खी के प्रभावी नियंत्रण के लिए फेरोमैन ट्रैप 15/हेक्टेयर की दर से लगाए।

रिपोर्ट- संजय राय

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