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Bulandshahr

मौहर्रम पांच को हुआ दुलदुल का आगाज़, हजारों सोगवारों ने मातम कर किया रंजोगम का इजहार

कर्बला के मैदान में पैगंबर हज़रत इमाम हुसैन की शहादत का प्रतीक है दुलदुल

औरंगाबाद(बुलंदशहर) मौहर्रम की पांच तारीख को कस्बे  में दुलदुल घोड़े के जुलूस का आगाज हुआ। मौहल्ला सादात स्थित बड़े इमाम बाड़े से गुरुवार दोपहर दुलदुल घोड़े का आगाज हुआ। इस्लाम धर्म के महान पैगंबर हज़रत इमाम हुसैन की कर्बला के मैदान में अत्याचारी यजीद के हाथों हजारों वर्ष पहले हुई शहादत की याद में हर वर्ष निकाले जाने वाले

दुलदुल जुलूस में शिया संप्रदाय के सैंकड़ों लोगों ने  शोक के प्रतीक काले वस्त्र धारण कर जुलूस में शिरकत की। हजरत इमाम हुसैन की शहादत के अनुरूप दुलदुल घोड़े को सुसज्जित किया गया था। मर्सिया पढ़ते हुए जुलूस का आगाज किया गया । मर्सिया साजिद अली,हसन हुजूर अब्दुल्ला, असगर अब्बास आदि ने पढ़ा। जुलूस में शामिल सोगवार नंगे पैरों मर्सिया पढ़ते चल रहे थे।

दुलदुल घोड़े को लोगों ने प्रसाद चढ़ाया और भीगी चने की दाल खिलाई। इमाम बाड़े से चलकर मेन बाजार छैपीवाडा होता हुआ जुलूस बुर्ज पहुंचा तो सोगवारों ने इमाम हुसैन की याद में मातम करना शुरू कर दिया। जुलूस के आगे लोग अलम उठाये चल रहे थे। सोगवारो ने जंजीरों, छुरी आदि से भी मातम किया और छाती,सिर पीटकर अपने रंजोगम का इजहार किया।

जुलूस के सारे रास्ते आसपास ही नहीं दूर दराज तक से दुलदुल देखने आए हजारों लोगों से अटे पड़े रहें। थाना प्रभारी राजपाल तौमर पूरे रास्ते भारी पुलिस बल के साथ मौजूद रहे। नगर पंचायत अध्यक्ष अख्तर अली मेवाती, कृष्ण कुमार शर्मा लोकेश शर्मा शिवकुमार गुप्ता भी जुलूस में शामिल रहे।

इस अवसर पर सैय्यद जर्रार हुसैन उर्फ पोलू, मौहम्मद हुसैन,मौ अफसर,अली हुजूर अली हैदर हसन हुजूर, नफीसुल हसन, सैयद अबूतालिब,रहीस अहमद, हसनैन अब्बास, आदि सैकड़ों लोग मौजूद रहे। अमीर हसन चरौरा वालों ने अंतिम मर्सिया पढ़ा। पुनः बड़े इमाम बाड़े पहुंच कर तब्बरूक तकसीम कर जुलूस का समापन किया गया।

रिपोर्टर राजेंद्र अग्रवाल

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