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अंतर्राष्ट्रीयधर्म

दुर्गा माँ इस बार गज पर आ रही है – जानते है सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्राजी से 

सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल इंटरनेशनल वास्तु अकडेमी सिटी प्रेजिडेंट कोलकाता 

कोलकाता: नवरात्री साल में दो बार आते है चैत्र नवरात्री और शरद नवरात्री। शारदीय नवरात्र इस साल २६ सितंबर से प्रारम्भ हो रही हैं। समापन ५ अक्टूबर को विजयादशमी पर होगा।

माँ कौन कौन सी सवारी पर आती है और उनके परिणाम

माँ इस बार किसकी सवारी कर रही है

देवी भागवत ग्रंथ के अनुसार मां दुर्गा का वाहन शेर है, परन्तु इसी ग्रंथ में बताया गया है कि हर साल नवरात्र पर देवी अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। देवी के अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आने से देश, काल और परिस्थिति पर भी इसका असर अलग-अलग होता है।

शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।

गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता ।।

गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।

नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्।।

यदि नवरात्र रविवार या सोमवार से प्रारंभ होते हैं तो मां दुर्गा हाथी पर, शनिवार या मंगलवार को घोड़ा पर, गुरुवार या शुक्रवार को डोला पर, और बुधवार को शुरू होने पर मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आती हैं।इस बार माँ दुर्गा का पृथ्वी पर हाथी पर आना देश के लिए समृद्धि जनक होगा, अत्यधिक वर्षा और खुशहाली का संकेत है।

माँ दुर्गा का प्रस्थान

शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।

शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।

बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।

सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥

माँ दुर्गा का प्रस्थान भी हाथी पर है। हाथी पर लौटने के कारण ये बताया जा सकता है की अत्यधिक वर्षा होगी।

नवरात्रे में बंगाल में दुर्गा पूजा के दिनों में लोग भव्य प्रतिमाओं के दर्शन करते है उन्हें भारी बारिस का सामना करना होगा।

अन्य सवारियों का फल

माँ का घोड़े पर आना युद्ध की आशंका जताता है , नाव पर आना मनोकामनाओ की पूर्ती को दर्शाता है । डोली पर आना आक्रांत रोग और मृत्यु का भय बताता हैं।

अन्य सवारियों पर प्रस्थान

प्रस्थान विजय दशमी को माना जाता है। विजयादशमी रविवार या सोमवार को होने पर मां दुर्गा भैंसा पर प्रस्थान करती है , शनिवार या मंगलवार को मुर्गा पर प्रस्थान करती है , बुधवार या शुक्रवार को हाथी पर प्रस्थान करती है और बृहस्पतिवार को नर पर प्रस्थान करती हैं।

अन्य सवारियों पर प्रस्थान का फल:

मां भैंसा पर प्रस्थान करने से शोक का माहौल बनता है। मुर्गा पर देवी का प्रस्थान जन मानस में विकलता उत्पन करता है , हाथी पर प्रस्थान अत्याधिक वर्षा करता है , नरवाहन पर देवी का जाना जान कल्याण और शुभ सौख्य लाता हैं।

कलश स्थापना का समय

कलश स्थापना अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा २६ सितंबर को सोमवार होगा।

नवरात्रि के ९ दिनों में मां दुर्गा के कोनसे ९ रूपों की पूजा किस दिन होगी

२६ सितंबर: प्रतिपदा, मां शैलपुत्री पूजा

२७ सितंबर: द्वितीया, मां ब्रह्मचारिणी पूजा

२८ सितंबर: तृतीया , मां चंद्रघंटा पूजा

२९ सितंबर: चतुर्थी , मां कुष्मांडा पूजा

३० सितंबर : पंचमी, मां स्कंदमाता पूजा

१ अक्टूबर : षष्ठी, माता कात्यायनी पूजा

२ अक्टूबर : सप्तमी, मां कालरात्रि पूजा

३ अक्टूबर: दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा

४ अक्टूबर: महानवमी, शारदीय नवरात्रि का पारण

५ अक्टूबर : दुर्गा विसर्जन और विजयादशमी

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