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लोक सभा- 2024

गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट:बाप रे बाप, चुनाव लड़ने की इतनी औपचारिकताएं

राजेश बैरागी( वरिष्ठ पत्रकार)

सूरजपुर (गौतमबुद्धनगर) स्थित कलेक्ट्रेट में आज गजब की शांति थी।कल नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद दस दिन पहले नामांकन प्रक्रिया के लिए की गई व्यवस्थाएं उखाड़ी जा रही थीं। अधिकांश अधिकारी कार्यालयों में नहीं थे, केवल सहायक निर्वाचन अधिकारी को छोड़कर। बताया गया कि फेज दो नोएडा स्थित फूल मंडी में बने स्ट्रांग रूम में ईवीएम मशीनों की जांच के लिए अधिकांश अधिकारी कर्मचारी गये हुए हैं। दोमंजिले कलेक्ट्रेट भवन के ऊपर पिछले हिस्से में बने दो कमरों में से एक को अनुमति कक्ष बनाया गया है। यहां से लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को चुनाव कार्यालय खोलने से लेकर चुनाव प्रचार तक की अनुमति मिलती है। भारत के लोकतंत्र का यह वर्तमान स्वरूप है। सुनते हैं स्वतंत्रता के बाद हुए पहले दूसरे आम चुनावों में एक ही लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले चार चार प्रत्याशी एक ही अंबेसेडर कार में बैठकर वोट मांगते थे।धन के अभाव में शत्रुता के बावजूद सहकारिता का विचार यहीं से जनमा होगा। तो यह अनुमति कक्ष प्रत्याशियों को चुनाव कार्यालय खोलने के लिए नियम कायदे बताता है। नोडल अधिकारी के तौर पर नियुक्त जिला डायट की लेक्चरर नीता सिंह ने बताया कि विद्यालय, धार्मिक स्थल, चिकित्सालय और पार्टी कार्यालय के दो सौ मीटर के दायरे में चुनाव कार्यालय नहीं खोला जा सकता है। उसके लिए भी अनुमति लेनी होगी जो पुलिस, अग्निशमन और लोक निर्माण विभाग आदि की अनापत्ति के आधार पर उसी दिन दे दी जाती है। चुनाव कार्यालय मतदान से दो दिन पहले यानी 24 अप्रैल तक ही संचालित किया जाएगा। मतदान के बाद भी चुनाव कार्यालय खोले रखने की अनुमति मांगने वालों को मना किया जा रहा है। रोड शो, रैली और घर घर जाकर वोट मांगने की अनुमति अलग से लेनी पड़ती है। मीडिया में विज्ञापन छपवाने की अनुमति अलग है। सोशल मीडिया पर किए जा रहे चुनाव प्रचार पर निगाह रखी जा रही है।इतनी सारी अनुमतियों की औपचारिकता देख सुनकर मन में विचार आया कि इश्क करना ज्यादा मुश्किल है या चुनाव लड़ना। कहते हैं इश्क करना नहीं आसान परंतु चुनाव लड़ना ही कहां नानी का घर है,

जागरुक मतदाता बनें-मतदान अवश्य करें

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