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लोक सभा- 2024

व्यंग :सत्य के प्रश्न पर विक्रम वेताल संवाद

राजेश बैरागी (वरिष्ठ पत्रकार)

इस युग के तीसरे आम चुनाव को आधार बनाकर वेताल ने विक्रम से बहुत ही विनम्रता से पूछा -सत्य क्या है? विक्रम इस बार पूरी तरह सतर्क था। वह अभी तक आधा दर्जन बार वेताल को ले जाने का प्रयास कर चुका था परंतु उसके सरल साधारण प्रश्नों का नियमानुसार उत्तर देकर वह फंस जाता था। अबकी बार उसने संकल्प लिया हुआ था कि वह नियम भंग किए बगैर किसी न किसी प्रकार वेताल के प्रश्न का उत्तर देने से बचेगा और इस प्रकार वह वेताल पर नियंत्रण पा लेगा। वेताल का यह प्रश्न ऐसा ही था।सबका सत्य अलग-अलग है इसलिए उसका उत्तर भी अलग होगा। चूंकि वेताल ने अपने सत्य के बारे में प्रश्न किया है,इसलिए विक्रम को उसके सत्य का पता होना संभव ही नहीं है। यही विक्रम की विजय का सूत्र है कि अज्ञानतावश उत्तर न दे पाने का दोष विक्रम पर नहीं लगेगा और वेताल उसके नियंत्रण में आ जाएगा। विक्रम का मन विजय की आशा में बल्लियों उछलने लगा कि वेताल ने अपना प्रश्न दोहराया -सत्य क्या है विक्रम? विक्रम मौन रहना चाहता था इसलिए वह प्रश्न को स्पष्ट करने के लिए भी वेताल से कहना नहीं चाहता था। परंतु पीठ पर लदे वेताल ने उसके कान से अपने होंठ सटा कर पागलों की भांति अपने प्रश्न की रट लगा दी, सत्य क्या है सत्य क्या है सत्य क्या है? विक्रम का धैर्य क्षेत्रीय विपक्षी पार्टियों के समान डोल गया। वह भी चिल्ला कर बोला, मैं क्या जानूं सत्य क्या है? मैं उस बैठक में नहीं था जिसमें नई शराब नीति बनी थी। मैंने झारखंड के भूमि के उस टुकड़े को कभी देखा भी नहीं है जो एक मुख्यमंत्री के जेल जाने का सबब बना। मैं कभी संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं से भी नहीं मिला। मैं अपने राज्य की जनता की भलाई के लिए आपको ले जाने आया हूं। कृपया कर मुझसे ऐसे प्रश्न मत पूछो कि ऐसा होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए। वेताल ने हल्की सी दाढ़ी बढ़ाई हुई थी।उसी दाढ़ी के भीतर से मुस्कुराते हुए उसने कहा, मैंने पूछा है कि सत्य क्या है। तुम इस प्रश्न का उत्तर देने में असफल रहे हो। मैं बताता हूं।जब तक चुनाव हैं, सत्ता पर एकाधिकार की चेष्टा है और किसी भी अन्य के लिए कोई स्थान नहीं है तब तक ईडी, सीबीआई और इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट लोकतंत्र में प्रासंगिक बने रहेंगे। न्यायालयों में सत्य की खोज का ड्रामा चलता रहेगा। विपक्ष अस्तित्व बचाए रखने के संघर्ष में उलझा रहेगा परंतु सत्ता तक पहुंचने के लिए आवश्यक एक अदद गठबंधन बनाने में भी सफल नहीं होगा। क्या तुम्हें सत्ता पक्ष का भी कुछ सत्य जानने की इच्छा है? वेताल ने अपने कानों को हाथ लगाते हुए वेताल की पकड़ ढीली कर दी।

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