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एक रूपया व एक ईट

एक रूपया व एक ईट:- अग्र -वैश्य समाज की गौरव गाथा , भाग 5

वैश्य जाति की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं का वर्णन हम निम्न प्रकार से कर रहे हैं :

वैश्य समाज के व्यक्ति उत्कृष्ट देश भक्ति से परिपूर्ण होते है। इसके लिए यहाँ पर मैं कुछ उदाहरण देना चाहूँगा जिससे यह स्वतः ही स्पष्ट हो जायेगा कि वैश्य जाति के लोगों में कितनी देश भक्ति है।

यह सभी जानते है कि जब महाराणा प्रताप अकबर हल्दी घाटी का युद्ध हार गये थे, तब वे जंगलों में घास की रोटी पर जीवन व्यतीत कर रहे थे। उसी समय सेठ भामाशाह उन्हें ढूँढ़ते हुए, उनके पास पहुँचे और उन्हें अपनी सारी सम्पत्ति अर्पित कर दी थी। वह धन इतना था कि इससे एक लाख सेना पाँच वर्षों तक लड़ सकती थी। महाराणा प्रताप ने इस धन से सेना इकट्ठी की तथा अकबर पर चढ़ाई कर दी। उन्होंने चित्तौड़गढ़ को छोड़ कर सम्पूर्ण मेवाड़ अकबर से जीत लिया। उस जीत के बाद महाराणा प्रताप ने कहा कि इस जीत का असली हकदार सेठ भामाशाह है तथा इस गद्दी का भी असली हकदार सेठ भामाशाह ही है।

  • एक वीर शिरोमणि !औघड़दानी, अमर संस्कृति के उपादान | 
  • जय वैशाली ,जय मगधराज, जय महादानी, से हर्ष महान ||
  •  हे!भारत माता के दानवीर ,हे! वीर- भूमि के जल प्रवाह | 
  • जय मारवाड़, जय चित्तौड़गढ़, जय मेवाड़ केसरी भामाशाह ||

अतः महाराणा प्रताप ने सेठ भामाशाह का अभिनन्दन करने के लिए एक विशाल आयोजन किया तथा मन ही मन में यह तय किया कि राज सिंहासन पर एक बार भामाशाह को बैठाकर, तब मै इस सिंहासन पर बैठूंगा। जिस दिन यह आयोजन था, उस दिन उस जनसभा में सेठ भामाशाह नहीं आये। उन्हें खोजने के लिए उनके घर पर दूत भेजे गये। एक ऊँची पहाड़ी के नीचे वे मृत अवस्था में पड़े हुए थे। उनकी जेब में एक कागज का टुकड़ा मिला, उसमें लिखा था “प्रताप, आगे आने वाली पीढ़ियाँ शायद
यह सोचेंगी, कि भामाशाह ने अपने अभिनन्दन कराने के लिए ही धन दिया था। यह धन जो मैने तुम्हें दिया है, वह राष्ट्रही मिला था और राष्ट्र को ही मैने समर्पित कर दिया। मैंने तुम्हारे ऊपर कोई अहसान नहीं किया।
मैंने केवल अपने कर्त्तव्य का पालन ही किया है और मेरा अभिनन्दन उस दिन हो जायेगा, जिस दिन तुम चित्तौड़गढ़ को जीत लोगे “भामाशाह के इस पत्र को पढ़कर प्रताप की आंखों में आंसू आ गये ,उसके मुख से निकला कि “जिस देश में ऐसे महान व्यक्ति हो, क्या वह देश कभी गुलाम रह सकता है? ” प्रताप ने तभी चित्तौड़गढ़ को मुगलों से मुक्त कराया तथा मेवाड़ में एक बड़ा भारी स्तंभ बनवाया, उस स्तंभ पर आज भी सेठ भामाशाह का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा हुआ है, यदि ऐसे विचार सभी देशवासियों के हो जाएं तो यह देश दुनिया का सिरमौर बन सकता है ,आज हमें अपने अधिकार तो याद हैं, लेकिन अपने कर्तव्यों को हम भूल गए हैं|

 

श्री महाराजा अग्रसेन जी की जय
जैसा कि अवगत है कि ग्लोबल न्यूज़ 24×7 हर रविवार को श्री महाराजा अग्रसेन जी की व समस्त अग्रसेन समाज के सम्मान में एक रुपया व एक ईट श्रृंखला प्रकाशित करता रहा है आपको ज्ञात कराना चाहता है कि 7 अक्टूबर को श्री महाराजा अग्रसेन जयंती के उपलक्ष में एक विशेष प्रस्तुति प्रकाशित करने जा रहा है जिसमें आपके विचार और शुभकामनाएं आमंत्रित हैं आप शुभकामनाएं एवं विचार ग्लोबल न्यूज़ 24 ×7 के मुख्य संपादक ओम प्रकाश गोयल 800 625 1800 पर भेज सकते हैं

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