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अपराध

शरीयत की भेंट चढ़ता हिंदू समाज – दिव्य अग्रवाल 

इस्लामिक जिहाद प्रतिदिन मानवता को कुचल रहा है और समाज मूकदर्शक बनकर देख रहा है । भारत में ऐसे असंख्य हिन्दू संगठन है जिनका मूल उदेश्य ही सनातन समाज की रक्षा करना है , क्या वो ऐसा कर पा रहे हैं । भारत में अनेको सनातनी धर्म गुरु , महामंडलेश्वर , शंकराचार्य है परन्तु मजहब के नाम पर हो रही हिन्दू हत्याओं व् दुर्दशा को क्या वो रोक पा रहे हैं । सच तो यह है जब कोई हिन्दू हत्या या दुर्दशा होती है तो सनातन रक्षक की ताल ठोकने वाले हिन्दू संगठन पीड़ित के घर जाने तक , चित्र खिचवाने तक , चंदा इकट्ठा करने तक ही सिमित रहते हैं । सच तो यह है की इतना बड़ा सनातन समाज होने के पश्चात भी हिन्दुओ की सुरक्षा की न तो कोई तैयारी है न ही कोई साधन ।मात्र सोशल मीडिया पर आँशु बहाकर क्या किसी की सुरक्षा हो सकती है जबकि इस्लाम प्रथम दिन से मुसलमानो को यही सिखाता है की अल्लाह के सिवा इस दुनिया में अन्य कोई पूजनीय नहीं है एवं प्रत्येक गैर इस्लामिक / काफिर इस्लाम का दुश्मन है उसे जीने का कोई अधिकार नहीं है । इसके विपरीत सनातनी बच्चो को न तो अपने शास्त्र पता न ही परम्परा इस विकट स्थिति में हिदुओ के वंश को कब तक सुरक्षित रखा जा सकेगा यह विचारणीय है । हिन्दू लड़किया या तो मारी जा रही या गायब हो रही हैं इसका वास्तविक दोषी सनातनी परिवार है या उनके संस्कार सोचियेगा जरूर क्यूंकि जब तक रोग का निवारण नहीं होगा रोग प्रतिदिन विषैला होता जाएगा । सत्य आधारित केरल स्टोरी जैसी कितनी ही स्टोरी क्यों न देख ली जाए परन्तु जब तक प्रतिकार करने की क्षमता प्रबल नहीं होगी किसी भी प्रकार की जागरूकता सभ्य समाज की रक्षा नहीं कर सकती ।

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