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कैसे मिलेगा OBC, EWS को आरक्षण का फायदा, समझे नई व्यवस्था का पूरा गणित

कैसे मिलेगा OBC, EWS को आरक्षण का फायदा, समझे नई व्यवस्था का पूरा गणित

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग यानि ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को बड़ी राहत दी है. मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में हुई नई घोषणा के मुताबिक, सरकार ने ऑल इंडिया कोटा के तहत NEET में ओबीसी और EWS के छात्रों को आरक्षण को मंजूरी दे दी है. OBC और EWS को NEET में AIQ के तहत आरक्षण दी जाने की मांग लंबे समय से चल रही थी. इससे पहले केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को ही आरक्षण मिलता था. अब सरकार की इस नई व्यवस्था का पूरा गणित विस्तार से समझते हैं.

क्या है NEET और AIQ

देश में डेंटल और मेडिकल के UG-PG कोर्सेज में दाखिला लेने के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) एक प्रवेश परीक्षा है. इससे पहले, राष्ट्रीय स्तर पर साल 2016 तक ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (AIPMT) होता था. जबकि, राज्य सरकारें उन सीटों के लिए अलग से प्रवेश परीक्षा आयोजित कराती थीं, जिनके लिए राष्ट्रीय स्तर पर दावा नहीं किया जाता था. नीट का आयोजन पहली बार 2003 में हुआ था, लेकिन बाद में इसे खत्म कर दिया गया था.

अब जब देशभर में एक ही परीक्षा होती है, तो मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में कुछ सीटें मूलनिवासी छात्रों के लिए रिजर्व होती हैं. यूजी में बची हुई सीटों का 15 फीसदी और पीजी में 50 फीसदी सीटें ऑल इंडिया कोटा में शामिल होती हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह व्यवस्था 1986 में शुरू हुई थी. इसका उद्देश्य अन्य राज्यों के छात्रों को अच्छे मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने का अवसर देना था. केंद्रीय विश्वविद्यालयों, ईएसआईसी और आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज में एआईक्यू के तहत 100 प्रतिशत सीटें रिजर्व होती हैं.

अब तक कैसे मिलता था दाखिला

2007 तक मेडिकल कॉलेजों में ऑल इंडिया कोटा के तहत कोई आरक्षण नहीं मिलता था. 31 जनवरी 2017 को एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति के लिए 15 फीसदी और अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 फीसदी आरक्षण के आदेश दिए थे. उस वर्ष सरकार ने भी सेंट्रल एजुकेशन इंस्टीट्यूशन्स (रिजर्वेशन इन एडमिशन) एक्ट 2007 पारित किया था. इसके तहत केंद्र सरकार के संस्थानों में ओबीसी छात्रों को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता था.

क्या होंगे बदलाव

नई व्यवस्था के बाद ऑल इंडिया कोटा योजना के अंतर्गत मेडिकल/डेंटल के यूजी और पीजी कोर्सेज में ओबीसी को 27 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा. EWS के छात्रों को 10 फीसदी आरक्षण का लाभ होगा. स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में इससे एमबीबीएस में करीब 1500, पीजी कोर्सेज में 2500 ओबीसी छात्रों को फायदा होगा. जबकि, EWS के तहत एमबीबीएस में लगभग 550 और पीजी में 1000 छात्रों को फायदा मिलेगा.

आंकड़े बताते हैं कि 2017 और 2020 के बीच राज्य सरकार की तरफ से संचालित कॉलेजों में AIQ के तहत करीब 40 हजार 800 आवंटित की गई थीं. इससे पता चलता है कि 10 हजार 900 तक ओबीसी छात्र ओबीसी कोटा के तहत दाखिला पाने से वंचित रह गए होंगे.

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